भोपाल: अब 6 महीने का भी गर्भपात हो सकेगा। केन्द्र सरकार के नए गर्भपात नियमों के आधार पर राज्य सरकार ने आदेश जारी कर दिए हैं। इसके लिए कुछ विशेष मामलों में गर्भपात कराने की समय सीमा को 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह (पांच महीने से बढ़ाकर छह महीने) की गई है। इसके लिए एक राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा। आवेदन मिलने के बाद बोर्ड को पांच दिन के अंदर मामले का निराकरण करना होगा।
इन मामलों में लागू होंगे नियम
नए नियमों के अनुसार यौन उत्पीड़न, बलात्कार या पारिवारिक व्यभिचार की शिकार, नाबालिग, विधवा और तलाक शुदा महिलाएं समेत दिव्यांग गर्भवती महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा मानसिक रूप से बीमार महिलाओं, भ्रूण में ऐसी कोई विकृति या बीमारी हो जिसके कारण उसकी जान को खतरा हो या फिर जन्म लेने के बाद उसमें ऐसी मानसिक या शारीरिक विकृति होने की आशंका हो जिससे वह गंभीर विकलांगता का शिकार हो सकता है। सरकार ने नए नियमों में आपदा स्थिति में गर्भ धारण करने वाली महिलाओं को भी शामिल किया है।
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क्या था पुराना नियम
पुराने नियमों के तहत, 12 सप्ताह (तीन महीने) तक के भ्रूण का गर्भपात कराने के लिए एक डॉक्टर की सलाह की जरुरत होती थी और 12 से 20 सप्ताह (तीन से पांच महीने) के गर्भ के मेडिकल समापन के लिए दो डॉक्टरों की सलाह आवश्यक होती थी। अब 24 सप्ताह (छह महीने) के बाद गर्भपात के संबंध में फैसला लेने के लिए राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा।
मेडिकल बोर्ड को देना होगी अनुमति
मेडिकल बोर्ड में गर्भपात का आवेदन आने पर तीन दिन में अनुमति देनी होगा। पांच दिन के अंदर मामले का निराकरण करना जरूरी है। आवेदन मिलने पर उसके रिपोर्ट की जांच करना और तीन दिनों के भीतर गर्भपात की अनुमति देने या नहीं देने के संबंध में फैसला सुनाना है। बोर्ड का काम यह ध्यान रखना भी होगा कि अगर वह गर्भपात कराने की अनुमति देता है तो आवेदन मिलने के पांच दिनों के भीतर पूरी प्रक्रिया सुरक्षित तरीके से पूरी की जाए और महिला की उचित काउंसलिंग की जाए।
केंद्र ने नियम बनाकर राज्यों को भेजे
गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) विधेयक, 2021 मार्च में संसद में पारित हुआ है। इसके बाद हाल ही में केन्द्र सरकार ने संशोधित कानून के अनुसार नियम बनाकर राज्यों को भेजे हैं।