आज है आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि, इन बातों का रखें ध्यान

Mohit
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विजय अड़ीचवाल

आज मङ्गलवार, आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि है।
आज उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
👆 ( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)

👉 आज प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध है।
👉 श्राद्ध कर्म करने और ब्राह्मण भोजन का समय प्रातः 11:36 बजे से 12: 24 बजे तक का है।
👆 इस समय को कुतप वेला कहते हैं। यह समय मुख्य रूप से श्राद्ध के लिए प्रशस्त है।
👉 लोकाचार परम्परा अनुसार जो श्राद्ध पक्ष के प्रथम दिन पूर्णिमा को श्राद्ध में मिलाते हैं, गलत है।
👉 पितृपक्ष में मृत्यु तिथि वाली तिथि के दिन ही श्राद्ध में मिलाना चाहिए। (श्राद्ध चिन्तामणि)
👉 कम से कम तीन पीढ़ी तक के श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
👉 यमलोक या स्वर्गलोक में रहने वाले पितरों को भी तब तक भूख – प्यास अधिक होती है, जब तक वह पिता, पितामह या प्रपितामह पद पर रहते हैं।
👉 जो पितृ कहीं जन्म ले चुके हैं, उनका भाग दिव्य पितृ आकर ग्रहण कर उस जीव को तृप्ति पहुंचाते हैं।
👉 अग्निष्वात्त, बर्हिषद्, आज्यप, सोमप, रश्मिप, उपहूत, आयन्तुन, श्राद्धभुक् तथा नान्दीमुख – ये नौ दिव्य पितर बताए गए हैं।
👉 अमावस्या के दिन वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध से पितृ एक मास तक तृप्त रहते हैं।
👉 पितृ पक्ष में जो मनुष्य मृत्यु तिथि पर पितरों के लिए श्राद्ध करते हैं, उससे पितरों को एक वर्ष तक तृप्ति बनी रहती है।
👉 गया तीर्थ में एक बार श्राद्ध कर देने से सभी पितृ सदा के लिए तृप्त हो जाते हैं।
👉 कन्या राशि पर सूर्य रहते हैं, तब तक पितृ अपनी सन्तानों द्वारा किए जाने वाले श्राद्ध की प्रतीक्षा करते हैं।
👉 उक्त समय बीत जाने पर कुछ पितृ तुला राशि पर सूर्य रहने तक पूरे कार्तिक मास में अपने वंशजों द्वारा किए जाने वाले श्राद्ध की राह देखते हैं।
👉 इस प्रकार पूरे 2 मास तक भूख – प्यास से व्याकुल पितृ वायु रूप में आकर अपने वंशजों के घर के दरवाजे पर खड़े रहते हैं।
👉 वंशजों द्वारा अगर दो मास तक उन्हें कुछ नहीं मिला तो वे पितृ दीन एवं निराश होकर शाप देते हुए अपने स्थान पर लौट जाते हैं। (स्कन्द पुराण, नागर खण्ड)
👉 श्राद्ध में श्रेष्ठ ब्रह्मश्चर्य परायण ब्राह्मण या ब्रह्मज्ञान परायण या अग्निहोत्री या वेद विद्या में निपुण गृहस्थ ब्राह्मण को निमन्त्रण दें।
👉 थोड़ी विद्या वाले होने पर भी कुल और आचार में जो श्रेष्ठ हों, उन्हीं को श्राद्ध में भोजन कराना चाहिए।
👉 निमन्त्रित ब्राह्मणों को उस दिन विशेष संयम से रहना चाहिए।