Pitru Paksha 2021: आज से शुरू हो रहे पितृ पक्ष, रखें इन बातों का खास ध्यान, जरूर मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

Pinal Patidar
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Sarva Pitru Shradh

Pitru Paksha 2021: आज से पितृ पक्ष (Pitru Paksha) की शुरुआत हो रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष भाद्रपद की पूर्णिमा को शुरू होता है और अश्विन की अमावस्या यानि सर्व पितृ अमावस्या को खत्म होता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, 20 सितंबर को पूर्णिमा की श्राद्ध होगी। 21 को प्रतिपदा, 22 को द्वितीया, 23 को तृतीया, 24 को चतुर्थी, 25 को पंचमी, 26 को षष्ठी, 27 को सप्तमी, 28 को कोई श्राद्ध नहीं होगा। 29 को अष्टमी, 30 को मातृ नवमी, एक अक्टूबर को दशमी, दो को एकादशी, तीन को द्वादशी, चार को त्रयोदशी, पांच को चतुर्दशी और छह अक्टूबर को अमावस्या श्राद्ध के साथ पितृ विसर्जन होगा।

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शास्त्रों में तीन प्रकार के ऋण बताए गए हैं। जिनमें देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण। शास्त्रों के मुताबिक, हमारे पूर्वज या पितर पितृ पक्ष में धरती पर निवास करते हैं। पितृ ऋण उतारने के लिए ही पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म किया जाता है। मान्यता है कि इस अवधि में उन्हें जो श्रद्धा से अर्पित किया जाता है वो उसे खुशी-खुशी स्वीकार करते हैं। पितृपक्ष पक्ष को महालय या कनागत भी कहा जाता है।

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16 दिनों तक चलने वाले इस पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों का स्मरण करते हैं और उनकी आत्म की तृप्ति के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म आदि करते हैं। पितरों के प्रसन्न होने पर घर पर सुख शान्ति आती है। ज्योतिषशास्त्र में पितृ दोष काफी अहम माना जाता है। जब जातक सफलता के बिल्कुल नजदीक पंहुचकर भी सफलता से वंचित होता हो, संतान उत्पत्ति में परेशानियां आ रही हों, धन हानि हो रही हों तो ज्योतिष शास्त्र पितृदोष से पीड़ित होने की प्रबल संभावनाएं होती हैं। इसलिये पितृदोष से मुक्ति के लिये भी पितरों की शांति आवश्यक मानी जाती है।

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हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जो परिजन अपना देह त्यागकर परलोक चले गए हैं उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। इसके अलावा यमराज भी श्राद्ध पक्ष में जीवों को मुक्त कर देते हैं ताकि वे अपने परिजनों के यहां जाकर तृपण ग्रहण कर सकें। मानते हैं कि पितृ श्राद्ध पक्ष में पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिजनों से तर्पण पाकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं. इससे घर में सुख शांति बनी रहती हैं। अगर कोई व्यक्ति मृत परिजन को तर्पण नहीं देते हैं तो पितृ नाराज हो जाते है, साथ ही कुंडली में पितृ दोष लग जाता है। पितृ पक्ष में जानिए किन कार्यों को करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।

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पितरों के लिए क्या करें
सर्वप्रथम अपने पूर्वजों की इच्छा अनुसार दान-पुण्य का कार्य करना चाहिए। दान में सर्वप्रथम गौदान करना चाहिए। फिर तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, गुड़, चांदी, पैसा, नमक और फल का दान करना चाहिए। यह दान संकल्प करवा कर ही देना चाहिए और अपने पुरोहित या ब्राह्मण को देना चाहिए। श्राद्ध पक्ष में यह दान तिथि अनुसार ही करें। ऐसा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

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पितरों से मांगें क्षमा-याचना
जाने अनजाने में आप कोई गलती या अपराध कर बैठे हैं और आप अपराध बोध से ग्रसित हैं तो ऐसी स्थिति में आप अपने गुरु से अपनी बात कहकर अपने पितरों से क्षमा मांगें और उनकी तस्वीर पर तिलक करें। उनके निमित संध्या समय में तिल के तेल का दीपक जरूर प्रज्वलित करें और अपने परिवार सहित उनकी तिथि पर लोगों में भोजन बांटें और अपनी गलती को स्वीकार कर क्षमा याचना मांगें। ऐसा करने से आपके पितृ प्रसन्न होंगे और इससे आपका कल्याण भी होगा।

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इस विधि से पाएं आशीर्वाद
जो हमारे पूर्वज पूर्णिमा के दिन चले गए हैं उनके पूर्णिमा श्राद्ध ऋषियों को समर्पित होता है। हमारे पूर्वज जिनकी वजह से हमारा गोत्र है। उनके निमित तर्पण करवाएं। अपने दिवंगत की तस्वीर को सामने रखें। उन्हें चन्दन की माला अर्पित करें और सफेद चन्दन का तिलक करें। इस दिन पितरों को खीर अर्पित करें। खीर में इलायची, केसर, शक्कर, शहद मिलाकर बनाएं और गाय के गोबर के उपले में अग्नि प्रज्वलित कर अपने पितरों के निमित तीन पिंड बना कर आहुति दें। इसके पश्चात, कौआ, गाय और कुत्तों के लिए प्रसाद खिलाएं। इसके पश्चात ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और स्वयं भी भोजन करें।

इस तरह करें पूजा
अगर आपके कोई पूर्वज पूर्णिमा के दिन चले गए है तो उनका श्राद्ध ऋषियों को समर्पित होता है। इस दिन दिवंगत की तस्वीर को सामने रखें और निमित तर्पण करवाएं। पितरों की तस्वीर पर चंदन की माला और चंदन का तिलक लगाएं। इसके अलावा पितरों को खीर अर्पित करें। इस दिन पितर के नाम का पिंडदान करवाएं और बाद में कौआ, गाय और कुत्तों को प्रसाद खिलाएं. इसके पश्चात ब्राहमणों को भोजन करवाएं और फिर स्वयं खाएं।

Pitru Paksha 2021

सर्व पितृ श्राद्ध
इस दिन पितरों का पिंडदान या श्राद्ध करना बहुत ही महत्व होता है। सर्व पितृ के दिन पितरों का तर्पण किया जाता है, जिनकी अकाल मृत्यु हो चुकी हैं या जिनकी तिथि पता नहीं होती है।

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श्राद्ध में बरतें ये सावधानी
श्राद्ध के समय में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस दिन प्याज, लहसुन, मांस और मछली का सेवन नहीं करना चाहिए। श्राद्ध तिथि के दिन दिवंगत आत्मा हेतु घर के प्रत्येक सदस्यों के हाथों को दान करवाना चाहिए। इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को भोजन करवाएं और अपने सामर्थ्य के अनुसार दान दें।

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