विजय अड़ीचवाल
आज गुरुवार, भाद्रपद शुक्ल दशमी तिथि है।
आज उत्तराषाढा नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
-आज दशावतार व्रत है।
-आज तेजा दशमी है।
-श्राद्ध में एक या तीन ब्राह्मणों को ही भोजन कराना चाहिए।
-श्राद्ध के निमित्त तीन से अधिक ब्राह्मणों को भोजन नहीं कराना चाहिए।
-ब्राह्मणों को श्राद्ध का भोजन लोहे के पात्र में नहीं खिलाना चाहिए और न ही परोसना चाहिए।
-जो पिता या पितामह आदि की मृत्यु तिथि (क्षयाह तिथि) को ठीक – ठीक नहीं जानता हो, उसे माघ या मार्गशीर्ष की अमावस्या को भी सांवत्सरिक श्राद्ध करना चाहिए।
-सूर्य देव की सहस्रों किरणों में जो सबसे प्रमुख है, उसी का नाम “अमा” है।
-इसी अमा में तिथि विशेष पर चन्द्रदेव निवास करते हैं, इसलिए उसका नाम अमावस्या हुआ।
-श्राद्ध के भोजन को रजस्वला स्त्री नहीं देख सके, ऐसी व्यवस्था होना चाहिए।
-कन्या और तुला राशि पर सूर्य जब तक रहते हैं, तब तक पितृ वायु रूप में आकर घर के दरवाजे पर खड़े रहते हैं।
-अतः आश्विन कृष्ण सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
-कृष्ण पक्ष की जिस त्रयोदशी के दिन चन्द्रमा मघा नक्षत्र में और सूर्य हस्त नक्षत्र में हो – यह योग श्राद्ध के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
-ऐसा योग आश्विन कृष्ण त्रयोदशी को है।