केन्द्रीय प्रसंस्करण इकाई (CPU) ग्रामीण रोजगार में वनोपज और औषधीय पौधों के संग्रह, प्रसंस्करण और मूल्य-वर्धन (value addition) के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था और ग्रामीणों, खासकर महिलाओं, के लिए आय और रोजगार के नए अवसर पैदा करती है। दुर्ग जिला के पाटन विकासखंड के जामगांव एम में स्थापित केन्द्रीय प्रसंस्करण इकाई ग्रामीण रोजगार, वनोपज प्रसंस्करण और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड’ के नाम से बाजार में उपलब्ध
यह इकाई लगभग 111 एकड़ क्षेत्र में विकसित की गई है, जहां छत्तीसगढ़ शासन और राज्य लघु वनोपज (व्यापार एवं विकास) सहकारी संघ मर्यादित के माध्यम से वन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों से वनोपज और औषधीय पौधों का क्रय, संग्रहण और प्रसंस्करण किया जा रहा है। यहां तैयार किए जा रहे हर्बल उत्पाद ‘छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड’ के नाम से बाजार में उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जाता है।
प्रसंस्करण इकाई से मिल रहा स्थानीय लोगों को रोजगार
प्रसंस्करण इकाई क्रमांक- 01 में स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित किए गए हैं। यहां आंवला, बेल और जामुन से जूस, कैंडी, लच्छा, मुरब्बा, शरबत, पल्प और आरटीएस पेय जैसे शुद्ध हर्बल उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। इन उत्पादों का विक्रय एनडब्ल्यूएफपी मार्ट और संजीवनी स्टोर के माध्यम से किया जाता है। इस इकाई ने मात्र एक वर्ष में लगभग 44 लाख रुपये मूल्य के उत्पादों का निर्माण और विक्रय कर स्थानीय लोगों की आय बढ़ाने में अहम योगदान दिया है।
20 हजार मीट्रिक टन क्षमता का केंद्रीय वेयरहाउस
इकाई क्रमांक- 02 में चार बड़े गोदाम बनाए गए हैं, जिनकी कुल भंडारण क्षमता 20,000 मीट्रिक टन है। यहां राज्य के विभिन्न जिलों से प्राप्त वनोपज का सुरक्षित भंडारण किया जाता है। वर्तमान में कोदो, कुटकी, रागी, हर्रा कचरिया, चिरायता, कालमेघ, पलास फूल और साल बीज सहित विभिन्न वनोपज का संग्रह किया गया है। इन उत्पादों का विक्रय संघ मुख्यालय रायपुर द्वारा निविदा प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है। इन दोनों इकाइयों के संचालन से अब तक 5,200 से अधिक मानव दिवस का रोजगार सृजित हो चुका है।








