सर्वेक्षण की टूलकिट में कचरा पृथक्करण, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छता सुविधाओं की उपलब्धता, जल प्रबंधन, स्वच्छता अभियानों की प्रभावशीलता, सफाई कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाएं, नागरिक फीडबैक और शिकायत निवारण व्यवस्था को शामिल किया गया है। इस बार स्वच्छता का आकलन केवल सड़कों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि स्कूल परिसरों, पर्यटन स्थलों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भी किया जाएगा। इन स्थानों पर गंदगी पाए जाने की स्थिति में अंक कटौती की जा सकती है। इसके मद्देनज़र नगर निगम अन्य सरकारी विभागों को भी स्वच्छता अभियान से जोड़ेगा। साथ ही खाली प्लॉटों में फैले मलबे और लंबे समय से खड़े जर्जर वाहनों को हटाने पर भी प्रशासन विशेष ध्यान देगा।
शहर में बैकलेन क्षेत्रों में कचरा जमा होने की समस्या लगातार बढ़ रही है। कई स्थानों पर रहवासी कचरा वाहनों को देने के बजाय बैकलेन में ही कचरा फेंक रहे हैं। इस स्थिति पर अंकुश लगाने के लिए निगमायुक्त दिलीप कुमार यादव ने रहवासियों के सहयोग से बैकलेन में सीसीटीवी कैमरे और गेट लगाए जाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने संबंधित कर्मचारियों को नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ चालान कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा है।
प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए सक्रिय हुआ निगम
इंदौर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नगर निगम लगातार विभिन्न उपाय कर रहा है। शहर में इलेक्ट्रिक वाहनों के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। होटलों में कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध लागू किया गया है। इसके अलावा चौराहों पर रुकने के दौरान वाहन चालकों को इंजन बंद रखने के लिए जागरूक किया जा रहा है, ताकि प्रदूषण स्तर को कम किया जा सके।









