Indore Manmad Rail Line: मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन परियोजना के काम ने अब रफ्तार पकड़ ली है। रेलवे ने इस अहम प्रोजेक्ट के लिए जियो-टैगिंग का टेंडर जारी कर दिया है, जिससे पटरियां बिछाने के रास्ते की एक बड़ी बाधा दूर हो गई है। यह परियोजना इंदौर को सीधे मुंबई से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
रेलवे बोर्ड ने 309.43 किलोमीटर लंबी इस लाइन के लिए 77 लाख रुपये का टेंडर जारी किया है। इस राशि से पूरे रेल मार्ग का ड्रोन सर्वे और जियो-टैगिंग की जाएगी। यह प्रक्रिया ट्रैक बिछाने से पहले की सबसे महत्वपूर्ण तैयारियों में से एक है, जिससे जमीन पर वास्तविक स्थिति का सटीक आकलन किया जा सकेगा।
ड्रोन सर्वे और जियो-टैगिंग से क्या होगा?
इस आधुनिक तकनीक के जरिए पूरे प्रस्तावित रेल मार्ग का हवाई नक्शा तैयार किया जाएगा। ड्रोन ऊपर से उड़ान भरकर हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरें और डेटा एकत्र करेगा। इसके साथ ही, जमीनी स्तर पर टीम साइट को क्लियर करेगी और मार्किंग का काम करेगी। इस दोहरी प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि पटरियां बिछाने के लिए जमीन पूरी तरह से तैयार है और किसी तरह की कोई तकनीकी बाधा नहीं है।
18 हजार 36 करोड़ होंगे खर्च
मुंबई से इंदौर को जोड़ने वाली 309 किमी लंबी इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन को 18 हजार 36 करोड़ रुपए की मंजूरी मिल चुकी है। यह रेल लाइन इंदौर को सिर्फ मुंबई ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत से भी जोड़ेगी जिससे शहर को औद्योगिक कनेक्टिविटी भी मिलेगी।
जमीन अधिग्रहण लगभग पूरा
परियोजना से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, मनमाड़ (महाराष्ट्र) से लेकर खरगोन (मध्य प्रदेश) तक के हिस्से में जमीन अधिग्रहण का काम लगभग पूरा हो चुका है। इसलिए, सर्वे और साइट क्लीयरेंस के बाद पटरियां बिछाने का पहला चरण इसी सेक्शन में शुरू किया जाएगा। यह इस परियोजना का एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगा।
यह रेल लाइन मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुल 13 जिलों से होकर गुजरेगी। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया विभिन्न चरणों में चल रही है। इस लाइन के बनने से न केवल यात्रियों को सुविधा होगी, बल्कि माल ढुलाई के लिए भी एक नया और तेज कॉरिडोर तैयार होगा, जिससे व्यापार और उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।










