इंदौर जिले में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया प्रशासन के लिए लगातार चुनौतियाँ पैदा कर रही है। बीएलओ स्तर पर हो रही दिक्कतों और काम की धीमी प्रगति को देखते हुए कलेक्टर शिवम वर्मा ने आज स्वयं फील्ड में उतरकर कई क्षेत्रों के कंट्रोल रूम का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने बीएलओ से उनके कार्य में आ रही समस्याओं की जानकारी भी ली।
पुरानी मतदाता सूची में जानकारी खोजने में बढ़ी दिक्कतें
रहवासियों को पुरानी सूची में अपना पता और विवरण खोजने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान में दिए जा रहे फार्म में वर्ष 2003 के पिछले SIR की मतदाता जानकारी भरना अनिवार्य है। कई लोग तब अन्य क्षेत्रों में रहते थे और अब नए इलाकों में शिफ्ट हो चुके हैं, जिसके कारण उनके पास पुरानी वोटर आईडी नहीं है। ऐसे में पुराने क्षेत्रों से जुड़ी जानकारी जुटाना उनके लिए काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।
कलेक्टर ने दिया ये आदेश
कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी शिवम वर्मा ने मंगलवार को विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 204 इंदौर-1 से जुड़े कार्यों की समीक्षा के लिए एम.बी. खालसा कॉलेज का औचक निरीक्षण किया। इसके बाद उन्होंने कलेक्टर कार्यालय में स्थापित कंट्रोल रूम का भी दौरा किया और वहां की व्यवस्थाओं की विस्तृत समीक्षा की। निरीक्षण के दौरान कलेक्टर वर्मा ने बीएलओ और सुपरवाइजर से पुनरीक्षण प्रक्रिया की प्रगति की जानकारी ली।
उन्होंने मौके पर ही रजिस्ट्रीकरण अधिकारी और सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को निर्देश दिए कि पुनरीक्षण कार्य में आने वाली हर समस्या का तुरंत और प्रभावी समाधान सुनिश्चित किया जाए। कलेक्टर वर्मा ने विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान शत-प्रतिशत डिजिटाइजेशन को निर्धारित समय सीमा में पूरा करने के स्पष्ट निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कार्य की गुणवत्ता और समयबद्धता अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि अंतिम मतदाता सूची पूरी तरह शुद्ध और त्रुटिरहित प्रकाशित हो सके।
निरीक्षण के दौरान उप जिला निर्वाचन अधिकारी पंवार नवजीवन विजय, अपर आयुक्त नरेन्द्रनाथ पांडे, रजिस्ट्रीकरण अधिकारी डॉ. निधि वर्मा, सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी नारायण नांदेडा, जोनल अधिकारी शितोले सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
BLO भी हो रहे परेशान
शहर में सर्वे कार्य कर रहे बीएलओ को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कई स्थानों पर लोग फार्म भरने में सहयोग नहीं कर रहे हैं, जबकि कुछ जगहों पर फार्म में दर्ज पते पर संबंधित रहवासी मिल ही नहीं रहे हैं।










