Nitish Kumar : बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि नीतीश कुमार की राजनीति में महिला मतदाताओं की भूमिका कितनी अहम है। एनडीए प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर रहा है और नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की तैयारी में हैं। इस ऐतिहासिक जीत के पीछे सबसे बड़ा कारण ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ को माना जा रहा है, जिसने चुनाव से ठीक पहले माहौल को एनडीए के पक्ष में कर दिया।
इस योजना के तहत राज्य की 1.5 करोड़ महिलाओं के बैंक खातों में 10-10 हजार रुपये की सीधी नकद राशि ट्रांसफर की गई। इसे नीतीश कुमार का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है, जिसने सत्ता विरोधी लहर को कमजोर किया और महिला वोटरों का विश्वास एनडीए के पक्ष में लामबंद कर दिया।
गेम-चेंजर बनी 10 हजार की स्कीम
चुनाव से ठीक पहले 29 अगस्त 2025 को नीतीश कैबिनेट ने ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ को मंजूरी दी थी। हालांकि विपक्ष ने इसे वोट खरीदने का आरोप लगाया, लेकिन नतीजों से साफ है कि यह योजना निर्णायक साबित हुई। बिहार में महिला मतदाताओं की संख्या लगभग 3.60 करोड़ है, जिनमें से 71 प्रतिशत से अधिक ने इस चुनाव में मतदान किया।
डेढ़ करोड़ महिलाओं को मिली इस सीधी आर्थिक मदद का असर केवल लाभार्थियों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव 4 से 5 करोड़ परिवारों पर पड़ा। माना जा रहा है कि लाभार्थी महिलाओं के साथ-साथ उनके परिवार की अन्य महिलाओं ने भी एनडीए को वोट दिया।
स्वरोजगार के लिए अनुदान, कर्ज नहीं
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह 10 हजार रुपये की राशि कोई कर्ज नहीं है और इसे महिलाओं को वापस नहीं करना होगा। यह रकम स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए एक अनुदान के तौर पर दी गई है। सरकार ने यह भी घोषणा की है कि यदि महिलाएं इस राशि से सफलतापूर्वक कोई रोजगार शुरू करती हैं, तो उन्हें भविष्य में 2 लाख रुपये का अतिरिक्त लोन भी दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वर्चुअल कार्यक्रम के जरिए इस योजना का शुभारंभ किया था, जिसके तहत करोड़ों महिलाओं के खाते में पैसे भेजे गए।
महिलाओं के बीच नीतीश की ‘ट्रस्ट चेन’
नीतीश कुमार का महिलाओं के लिए योजनाएं लाने का एक लंबा इतिहास रहा है। पहले भी मुफ्त साइकिल योजना, शराबबंदी, छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति, पंचायत चुनाव में 50% आरक्षण और सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण जैसी पहलों से उन्होंने महिला वोटरों के बीच एक मजबूत विश्वास (‘ट्रस्ट चेन’) कायम किया है। इस बार नकद राशि को सिर्फ वादा नहीं, बल्कि सीधे खाते में डिलीवर करके उन्होंने इस विश्वास को और पक्का कर दिया, जिसका नतीजा उन्हें बंपर वोटों के रूप में मिला।
दसवीं बार मुख्यमंत्री
नीतीश कुमार अब तक 9 बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं और अब दसवीं बार यह कुर्सी उनका इंतजार कर रही है। उनका कुल कार्यकाल 20 वर्षों से अधिक का है, जो उन्हें भारत के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेताओं में से एक बनाता है। पहली बार 3 मार्च 2000 को वह सिर्फ 7 दिनों के लिए सीएम बने थे, लेकिन 2005 में उन्होंने पूर्ण बहुमत से वापसी की। इसके बाद से वह लगातार बिहार की राजनीति के केंद्र में बने हुए हैं, चाहे वह एनडीए के साथ हों या महागठबंधन के।











