सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की भाषा अब सांप्रदायिक हो गई है। उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री को महसूस होता है कि जनता, भाजपा कार्यकर्ता और विधायक उनके खिलाफ होते जा रहे हैं, तब वे घबराहट में ऐसे बयान देने लगते हैं। अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा कि जैसे ही मुख्यमंत्री की कुर्सी डगमगाने लगती है, वे सांप्रदायिक मुद्दे उठाने लगते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री अब जनता को डराने के लिए कहते हैं कि अगर वोट नहीं मिला तो राशन की सुविधा खत्म कर दी जाएगी।
प्रदेश सपा मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री का विजन न तो ‘इंडिया’ से जुड़ा है और न ही ‘न्यू इंडिया’ की अवधारणा से। उन्होंने कहा कि सरकार को यह तक नहीं पता कि स्टार्टअप्स के क्षेत्र में क्या कदम उठाने हैं। एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) की जानकारी का भी अभाव है। अखिलेश ने यह भी कहा कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।
सपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार राज्य की महत्वपूर्ण संस्थाओं को निजी हाथों में सौंपने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने मंडियों को बेच दिया, कन्नौज के काऊ मिल्क प्लांट को बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया और अमूल का एक भी प्लांट स्थापित नहीं कर पाई। पराग दुग्ध परियोजना भी उपेक्षा का शिकार हो गई है, जिससे किसानों को उचित दूध मूल्य नहीं मिल पा रहा। अखिलेश ने कहा कि भाजपा सरकार युवाओं से जुड़े मामलों में पूरी तरह विफल साबित हुई है।
उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार निवेश योजनाओं में भी कमीशनखोरी में लिप्त है। भाजपा ने नई पीढ़ी के उज्जवल भविष्य को दिशा देने के बजाय उसे संकट में डाल दिया है। अखिलेश ने कहा कि युवा वर्ग दूरदर्शी और प्रगतिशील सोच रखता है — वह हर धर्म, पंथ और विचार के प्रति सहिष्णु है और सबको साथ लेकर आगे बढ़ने में विश्वास करता है। लेकिन भाजपा सरकार ने बीते नौ वर्षों में विकास के नाम पर कोई ठोस काम नहीं किया है।









