उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में अब प्रोटोकॉल के तहत दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के लिए नई डिजिटल व्यवस्था शुरू होने जा रही है। इस सुविधा से अब भक्तों को पारंपरिक टोकन नंबर लेने की झंझट से मुक्ति मिल जाएगी। मंदिर प्रबंधन समिति ने घोषणा की है कि अब प्रोटोकॉल दर्शनार्थियों को उनके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एक विशेष लिंक भेजी जाएगी। उसी लिंक के माध्यम से वे दर्शन के लिए अपनी सुविधा अनुसार स्लॉट बुक कर पाएंगे। यह पूरी व्यवस्था भस्म आरती की ऑनलाइन बुकिंग की तरह होगी।
मोबाइल लिंक के जरिए होगी बुकिंग
मंदिर प्रबंधक प्रथम कौशिक के अनुसार, प्रोटोकॉल दर्शन के इच्छुक भक्तों को पहले अपने विवरण दर्ज कराना होगा। इसके बाद उनके मोबाइल नंबर पर एक लिंक भेजी जाएगी। इस लिंक पर क्लिक करके श्रद्धालु 250 रुपये का निर्धारित शुल्क ऑनलाइन जमा कर सकेंगे। भुगतान सफल होने पर उन्हें दर्शन की निश्चित तिथि और समय स्लॉट आवंटित कर दिया जाएगा। स्लॉट की जानकारी भी सीधे मोबाइल पर उपलब्ध होगी। यह पूरी प्रक्रिया भक्तों के लिए सरल, तेज़ और पारदर्शी साबित होगी।
पुरानी प्रणाली में थीं खामियाँ
अब तक प्रोटोकॉल दर्शन की प्रक्रिया पूरी तरह से मैनुअल थी। भक्तों को नंदी हॉल से दर्शन की अनुमति लेने के लिए अपने नाम और मोबाइल नंबर प्रोटोकॉल अधिकारी को देना होता था। इसके बाद अधिकारी द्वारा भेजे गए टोकन नंबर को दिखाकर मंदिर में प्रवेश मिलता था। जब श्रद्धालु दर्शन करने आते थे, तो उन्हें प्रोटोकॉल ऑफिस जाकर प्रति व्यक्ति 250 रुपये की रसीद कटानी पड़ती थी। हाल के दिनों में इस प्रक्रिया को लेकर कई शिकायतें सामने आईं, जिनमें पारदर्शिता और अनुशासन पर सवाल उठे। इसी कारण अब पूरी व्यवस्था को ऑनलाइन किया जा रहा है, जिससे हर बुकिंग का डिजिटल रिकॉर्ड रहेगा।
नई व्यवस्था से बढ़ेगी पारदर्शिता
लिंक-आधारित इस प्रणाली से प्रोटोकॉल दर्शन में होने वाली अनियमितताओं पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगेगा। साथ ही मंदिर प्रशासन को भी यह पता रहेगा कि किस समय कितने श्रद्धालु दर्शन के लिए बुकिंग कर रहे हैं। इससे व्यवस्था और अधिक जवाबदेह बन जाएगी और मंदिर में भीड़ प्रबंधन करना आसान होगा।
भस्म आरती की तरह ही होगी प्रणाली
महाकाल मंदिर में भस्म आरती की ऑनलाइन बुकिंग पहले से ही सफलतापूर्वक संचालित की जा रही है। इस प्रक्रिया में भक्तों को उनके मोबाइल पर पुष्टि संदेश और लिंक प्राप्त होता है। उसी व्यवस्था को देखते हुए प्रोटोकॉल दर्शन को भी डिजिटल किया जा रहा है। मंदिर प्रबंधन को विश्वास है कि यह कदम श्रद्धालुओं का समय बचाएगा और उन्हें बेहतर अनुभव प्रदान करेगा। साथ ही, प्रशासनिक स्तर पर भी यह प्रणाली मंदिर की सेवाओं को और अधिक सुव्यवस्थित बनाने में मदद करेगी।