राजस्थान की राजनीति में सचिन पायलट का नाम हमेशा चर्चा में रहता है। इस बार उनके 48वें जन्मदिन ने एक नया राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। पूर्व उपमुख्यमंत्री और छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी पायलट ने इस बार अपना जन्मदिन जयपुर की बजाय मेवाड़ के सांवलिया में मनाया। इस कदम को कांग्रेस के लिए एकजुटता का संदेश देने के साथ ही पायलट की नई रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
7 सितंबर को सांवरिया सेठ मंदिर में दर्शन के बाद पायलट ने हजारों कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उनके भाषण में एकजुटता और 2028 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की वापसी का जिक्र था। पायलट ने कहा, “मेवाड़ की यह पवित्र भूमि हमारी ताकत है। हम जनता के मुद्दों को उठाएंगे और राजस्थान में फिर से कांग्रेस का परचम लहराएंगे।” यह संदेश पार्टी को कमजोर क्षेत्रों में मजबूत करने और कार्यकर्ताओं में जोश भरने का था।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम पायलट की पूर्वी राजस्थान में मजबूत पकड़ को मेवाड़ तक विस्तार देने की कोशिश है। पूर्वी राजस्थान में पायलट की लोकप्रियता खासकर गुर्जर समुदाय में जानी जाती है, जबकि मेवाड़ में आदिवासी और राजपूत मतदाता प्रभावशाली हैं। पायलट की मेवाड़ में मौजूदगी कांग्रेस और खुद पायलट दोनों के लिए नई ताकत बन सकती है।
कुछ विश्लेषक मानते हैं कि पायलट अपनी राष्ट्रीय और राज्य स्तर की छवि को मजबूत कर रहे हैं। जयपुर में हर साल होने वाले भव्य जन्मदिन समारोह की जगह मेवाड़ का चयन यह दर्शाता है कि वे केवल शहरी या अपने गढ़ तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ग्रामीण और कमजोर क्षेत्रों में भी सक्रिय हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि यह कदम गहलोत गुट को चुनौती नहीं बल्कि पार्टी को एकजुट करने का प्रयास है।
भाजपा ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन अंदरखाने में चिंता है। पायलट की युवाओं से अपील और किसानों-आदिवासियों से जुड़ाव उन्हें मजबूत दावेदार बनाता है। मेवाड़ में उनकी मौजूदगी से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नया उत्साह है और यह उनकी 2028 के लिए नई रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है।
क्या पायलट मेवाड़ में अपनी पकड़ मजबूत कर पाएंगे या यह केवल एक राजनीतिक संकेत है, यह तो समय बताएगा। लेकिन यह दौरा राजस्थान की राजनीति में लंबे समय तक चर्चा का विषय रहेगा।