श्रावण मास के तीसरे सोमवार को यानी 28 जुलाई 2025 को महादेव के जलाभिषेक के लिए भव्य नंदीश्वर कावड़ यात्रा ने इंदौर में शुक्रवार वार 25 जुलाई को नगर भ्रमण किया। नंदीश्वर कावड़ यात्रा का यह चौथा वर्ष है जिसमें हजारों की संख्या में बाबा महाँकाल के भक्तगण शामिल हुए। यात्रा शनिवार 21 जुलाई को ओम्कारेश्वर माँ नर्मदा का जल लेकर परंपरा अनुसार शिव जी की पूजा-अर्चना के बाद शुरू हुई पैदल कावड़ यात्रा गुरुवार को इंदौर पहुंची जहाँ रात्रि विश्राम के बाद गुरुवार सुबह जूनी इंदौर, कलेक्टरेट से राजबाड़ा माँ अहिल्या को नमन कर उज्जैन के लिए रवाना हुई एवं श्रावण मास के तीसरे सोमवार को बाबा महाँकाल का नर्मदा के पावन जल से अभिषेक करेगी। यात्रा के स्वागत के लिए पूरे यात्रा मार्ग पर स्वागत मंचो के साथ कावड़ियों के लिए स्वल्पाहार का आयोजन भी रखा गया है। यात्रा को भव्य रूप देने के लिए यात्रा में घोड़े – ऊँट एवं ढोल-ताशों के साथ सुंदर झांकियों को शामिल किया जाएगा। यात्रा में कावड़िये भगवा रंग की पौशाक में शामिल हुए। यात्रा के दौरान सभी कावड़ियों के भोजन , वस्त्र , कावड़ एवं ठहरने के स्थान की व्यवस्था श्री धनंजय अनीत जैन द्वारा की गई है।
इसलिए करते हैं भगवान शिव का जलाभिषेक
मान्यताओं के अनुसार, महादेव शिव का जलाभिषेक सबसे पहले देवताओं ने किया था। यह घटना समुद्र मंथन से जुड़ी है। हलाहल विष के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए देवताओं ने शिवजी पर पवित्र गंगा नदी शीतल जल चढ़ाया था। सभी देवता गंगाजी से जल लाकर अर्पित करते थे। कहते हैं, गंगा जल के शीतल प्रभाव से भगवान शिव की विष पीड़ा दूर हो गई। तब से भगवान शिव के जलाभिषेक की परंपरा चली आ रही है।
भगवान परशुराम ने पुरा महादेव का किया था जलाभिषेक
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने त्रेता युग में उत्तर प्रदेश के गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल कांवड़ से ढोकर बागपत के पास स्थित ‘पुरा महादेव’ का जलाभिषेक किया था। यही कारण है कि आज भी पूरे देश अलग – अलग शिव मंदिरों में कावड़िए महादेव का जलाभिषेक करते हैं। अनेक विद्वान भगवान परशुराम को दुनिया का पहला कांवड़ यात्री मानते हैं।
नंदीश्वर कावड़ यात्रा के आयोजक , संयोजक एवं निवेदक श्री धनंजय अनीत जैन (प्रभारी,भाजपा ,युवा मोर्चा) ने बताया कि ओम्कारेश्वर स्थित माँ नर्मदा के जल से बाबा महाँकाल का जलाभिषेक श्रावण मास के तीसरे सोमवार 28 जुलाई को किया जाएगा। पिछले 3 वर्षों से हम यह कावड़ यात्रा का आयोजन कर रहे है यह यात्रा का चौथा वर्ष है। बाबा महाँकाल के दीवाने पूरी दुनिया में पाए जाते है और हमारा इंदौर शहर भी बाबा महाँकाल की नगरी उज्जैन से जुड़ा हुआ है अंतः मैं सभी भक्तों को धन्यवाद देता हु जिन्होंने बाबा महाँकाल की नंदीश्वर कावड़ यात्रा में शामिल होकर यात्रा को भव्य रूप दिया। बाबा महाँकाल का नाम लेकर कावड़िये निस्वार्थ भाव से बाबा की सेवा में लग जाते है।