राज्य सेवा परीक्षा 2025 से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश संजीव कुमार सचदेवा और न्यायमूर्ति विनस सराफ की खंडपीठ ने मप्र लोक सेवा आयोग (MPPSC) को निर्देश दिया है कि वह मुख्य परीक्षा का संपूर्ण शेड्यूल न्यायालय के समक्ष पेश करे। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक आयोग द्वारा यह विवरण प्रस्तुत नहीं किया जाता, तब तक राज्य सरकार द्वारा परीक्षा आयोजन की अनुमति के लिए दाखिल आवेदन पर कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी।
राज्य ने न्यायालय में दी सफाई
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने याचिका पर जारी अंतरिम आदेश के तहत लागू प्रतिबंध हटाने के लिए न्यायालय में अर्जी दाखिल की। इस पर उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसने मुख्य परीक्षा पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया है, लेकिन उससे पहले लोक सेवा आयोग को परीक्षा का संपूर्ण कार्यक्रम न्यायालय में प्रस्तुत करना आवश्यक है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विनायक शाह ने मामले में पक्ष रखा। अब इस प्रकरण की अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी, जिसमें परीक्षा शेड्यूल और राज्य सरकार की अर्जी दोनों पर विचार किया जाएगा।
कैसे शुरू हुआ पूरा विवाद
भोपाल निवासी सुनीत यादव सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने मप्र लोक सेवा आयोग (MPPSC) के खिलाफ याचिका दाखिल करते हुए आरोप लगाया है कि 5 मार्च 2025 को घोषित राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा के परिणामों में वर्गवार कट-ऑफ अंक सार्वजनिक नहीं किए गए। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पूर्व में सभी परीक्षाओं में वर्ग के अनुसार कट-ऑफ अंक जारी किए जाते थे, लेकिन इस बार आयोग ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कई निर्णयों को नजरअंदाज करते हुए इस जानकारी को गोपनीय रखा। याचिका में यह भी कहा गया है कि आयोग ने अनारक्षित (ओपन) श्रेणी के पदों पर आरक्षित वर्ग के योग्य उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा के लिए शामिल नहीं किया। इससे पहले कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया था कि आयोग वर्गवार कट-ऑफ अंक घोषित करे और न्यायालय की अनुमति के बिना मुख्य परीक्षा का आयोजन न करे।