भोपाल में रह रही किन्नर नेहा, निकला बांग्लादेश का अब्दुल, बनवाए फर्जी दस्तावेज, असलियत सामने आने पर मचा हड़कंप

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By Abhishek SinghPublished On: July 18, 2025

भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले बांग्लादेशी नागरिकों की तलाश में चल रही केंद्र सरकार की कार्रवाई के तहत भोपाल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। बांग्लादेश का रहने वाला अब्दुल कलाम वर्षो से भोपाल में किन्नर के रूप में रह रहा था। उसने अपनी पहचान छिपाकर खुद को “नेहा किन्नर” के नाम से प्रस्तुत किया और इसी नाम से फर्जी दस्तावेज भी तैयार करवा लिए थे, जिनके आधार पर वह खुद को भारतीय नागरिक बताता था।

जांच एजेंसियों से बचने के लिए अब्दुल ने लड़की का रूप धारण कर लिया था और राजधानी के विभिन्न इलाकों में किन्नर बनकर घूमता था। बुधवारा क्षेत्र में रह रहे अब्दुल के खिलाफ तलैया थाना पुलिस ने कार्रवाई की है। फिलहाल, वह भोपाल पुलिस की निगरानी में है और उसे डिपोर्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह कार्रवाई इंटेलिजेंस यूनिट के इनपुट पर की गई, जिसमें उसकी असली पहचान उजागर हुई।

कड़ी निगरानी में रखा गया अब्दुल

इंटेलिजेंस यूनिट अब्दुल के मोबाइल कॉल रिकॉर्ड की गहन जांच कर रही है। उसका मोबाइल जब्त कर लिया गया है और साइबर क्राइम टीम की मदद से उसकी चैटिंग और बातचीत से जुड़ी सारी जानकारियाँ खंगाली जा रही हैं। अब्दुल जिन लोगों के संपर्क में था, उनसे पूछताछ के लिए क्राइम ब्रांच की एक विशेष टीम अलग से काम कर रही है। साथ ही, अब्दुल कलाम की मौजूदगी की सूचना केंद्रीय जांच एजेंसियों को भी भेज दी गई है।

फिलहाल अब्दुल को तलैया थाने में रखा गया है, जहां सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। थाना प्रभारी और दो महिला आरक्षकों को छोड़कर किसी को भी उससे मिलने की अनुमति नहीं दी गई है।

महिला पहचान के चलते महिला आरक्षकों को सौंपी निगरानी

पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपी जैविक रूप से पुरुष है, लेकिन वह लंबे समय से महिला किन्नर के रूप में पहचान छिपाकर रह रहा था। उसके बोलचाल और हावभाव भी महिलाओं जैसे हैं, इसी कारण उसकी निगरानी के लिए महिला आरक्षकों की तैनाती की गई है। पूछताछ के दौरान उसने भारत में घुसने के तरीके और अपने कुछ अन्य साथियों से जुड़े सुराग भी साझा किए हैं।

इस मामले में फिलहाल पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी सार्वजनिक रूप से कोई बयान देने से बच रहे हैं। उनका कहना है कि संदिग्ध व्यक्तियों से समय-समय पर पूछताछ की जा रही है और जब तक जांच पूरी नहीं होती, तब तक किसी निष्कर्ष पर पहुँचना उचित नहीं होगा।