सावन का महीना शिव भक्ति और आध्यात्मिक साधना का विशेष समय माना जाता है. इस पवित्र माह में भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है. ऐसे में चांदी के नाग-नागिन की खरीद और पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है.
क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर सावन में चांदी के नाग-नागिन क्यों खरीदे जाते हैं? और यह परंपरा किन दोषों को शांत करती है? इस लेख में जानते हैं इससे जुड़ी धार्मिक, ज्योतिषीय और आध्यात्मिक मान्यताएं.
नाग-नागिन का शिव पूजा में महत्व
भगवान शिव के गले में वासुकि नाग विराजमान रहते हैं. शिव को “नागेश्वर” भी कहा जाता है. यही कारण है कि नाग-नागिन की पूजा को शिव पूजा का एक अभिन्न अंग माना गया है.
सावन में नाग पंचमी, नाग व्रत और श्रावण सोमवार जैसे अवसरों पर चांदी के नाग-नागिन को घर लाकर पूजन करने से शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

कौन से दोष होते हैं शांत?
1. कालसर्प दोष- ज्योतिष के अनुसार, अगर किसी की कुंडली में कालसर्प दोष है तो वह व्यक्ति जीवन में बार-बार असफलताओं, मानसिक तनाव, विवाह में देरी, या संतान सुख में बाधा का सामना करता है. चांदी के नाग-नागिन की पूजा करने से यह दोष शांत होता है.
2. राहु-केतु के दोष- अगर जन्म कुंडली में राहु और केतु पीड़ा दे रहे हैं, तो चांदी के नाग-नागिन की स्थापना और शिव अभिषेक से राहु-केतु शांत होते हैं.
3.संपत्ति या पारिवारिक विवाद- इनकी पूजा करने से परिवार में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा आती है. भूमि या प्रॉपर्टी विवादों में भी राहत मिलती है.
पूजन विधि क्या है?
सावन के किसी भी सोमवार या नाग पंचमी के दिन चांदी के नाग-नागिन खरीदें, इन्हें गंगाजल से शुद्ध करें और लाल कपड़े पर बैठाएं, नाग-नागिन को शिवलिंग के पास या पूजा स्थान पर रखें, दूध, जल, बिल्वपत्र, धतूरा और अक्षत अर्पित करें, “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें, पूजा के बाद दक्षिण दिशा में रखें या मंदिर में चढ़ा सकते हैं,
किन लोगों को विशेष रूप से करनी चाहिए ये पूजा?
जिनकी कुंडली में कालसर्प या राहु-केतु दोष है, जिनके विवाह में विलंब हो रहा है, जिन्हें संतान सुख नहीं मिल पा रहा, जो व्यवसाय में बार-बार विफल हो रहे हैं, जिनके जीवन में लगातार बाधाएं आ रही हैं.