लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति इन दिनों एक नए मोड़ पर है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की अचानक बढ़ी सक्रियता और उनकी हाई-प्रोफाइल मुलाकातों ने बीजेपी के अंदरूनी गलियारों में हलचल मचा दी है. हाल ही में उनकी गृहमंत्री अमित शाह, फिर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, और कई वरिष्ठ बीजेपी नेताओं से मुलाकातों ने सियासी चर्चाओं को हवा दे दी है.
अचानक बढ़ी मुलाकातें क्या चल रहा है पर्दे के पीछे?

बीते कुछ दिनों में केशव मौर्य न सिर्फ दिल्ली पहुंचे, बल्कि वहां पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ लंबी बैठकों में भी शामिल हुए. इसके तुरंत बाद उन्होंने लखनऊ लौटकर राज्यपाल से मुलाकात की आमतौर पर इन मुलाकातों को “शिष्टाचार भेंट” कहा जाता है, लेकिन राजनीतिक हलकों में इसे 2027 या उससे पहले किसी बड़े फेरबदल की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है.
खुद मौर्य क्या कह रहे हैं?
जब मीडिया ने उनसे इन मुलाकातों को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा – “मैं पार्टी कार्यों को लेकर दिल्ली गया था. राज्यपाल से भी शिष्टाचार मुलाकात थी. मीडिया ज्यादा अंदाजा न लगाए” हालांकि, उनकी मुस्कान और शब्दों की चतुराई ने सिर्फ सवालों को और गहरा कर दिया है.
विपक्ष भी लगा रहा है कयास
सपा और कांग्रेस जैसे दलों ने मौर्य की इन मुलाकातों को बीजेपी की आंतरिक खींचतान से जोड़ते हुए दावा किया है कि “सत्ता के गलियारों में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा. “