सजावट ही नहीं, सौभाग्य भी लाते हैं रंग, जानिए वास्तु के अनुसार कौन से रंग हैं आपके घर के लिए शुभ

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की दीवारों के रंग केवल सौंदर्य नहीं बल्कि ऊर्जा, सुख-शांति और समृद्धि को भी प्रभावित करते हैं। हर कमरे के लिए अलग-अलग शुभ रंग होते हैं, जो सकारात्मक वातावरण बनाते हैं, जबकि गलत रंग नकारात्मकता ला सकते हैं। रंगों का संतुलित और सोच-समझकर किया गया चयन जीवन को बेहतर बना सकता है।

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क्या आपने कभी सोचा है कि आपके घर की दीवारों का रंग केवल सजावट का माध्यम नहीं, बल्कि आपकी जिंदगी की दिशा भी तय कर सकता है? वास्तु शास्त्र के अनुसार, रंग केवल देखने में सुंदर नहीं होते, बल्कि वे घर के वातावरण में ऊर्जा का संचार भी करते हैं, जो आपके स्वास्थ्य, रिश्तों, करियर और समृद्धि को गहराई से प्रभावित कर सकते हैं।

यदि सही रंगों का चयन किया जाए, तो यह आपके घर को न केवल खूबसूरत बना सकता है, बल्कि सौभाग्य और सुख-शांति का केंद्र भी बना सकता है।

सजावट ही नहीं, सौभाग्य भी लाते हैं रंग

वास्तु शास्त्र, जो भारतीय परंपरा में दिशाओं और ऊर्जा के संतुलन पर आधारित है, यह मानता है कि हर रंग की अपनी एक अनोखी ऊर्जा होती है। ये रंग कंपन (vibrations) उत्पन्न करते हैं जो हमारे मनोविज्ञान, व्यवहार और विचारों को प्रभावित करते हैं। सकारात्मक रंग जहां घर में ऊर्जा और उत्साह लाते हैं, वहीं अनुचित रंग तनाव, बेचैनी और कलह को जन्म दे सकते हैं।

हर कमरे के लिए उपयुक्त रंग और उनका महत्व

लिविंग रूम

लिविंग रूम, घर का वह स्थान होता है जहां परिवार एकत्र होता है और मेहमानों का स्वागत होता है। इसलिए यहां हल्के पीले, क्रीम, बेज, हल्के नीले और हल्के हरे रंग शुभ माने जाते हैं। ये रंग मानसिक शांति, सकारात्मकता और आपसी संबंधों में सामंजस्य को बढ़ावा देते हैं। गहरे लाल और काले रंगों से बचना चाहिए, क्योंकि ये अत्यधिक ऊर्जा या नकारात्मकता ला सकते हैं।

मास्टर बेडरूम

शयनकक्ष को आराम और निजी संबंधों के लिहाज़ से सजाना बेहद जरूरी होता है। गुलाबी, हल्का नीला, बैंगनी और हरा जैसे रंग न केवल शांत वातावरण बनाते हैं, बल्कि दांपत्य जीवन में प्रेम और समझ बढ़ाते हैं। क्रीम रंग भी सुकून देता है। जबकि लाल और नारंगी जैसे रंग उत्तेजना और बेचैनी ला सकते हैं, इसलिए इनसे बचना चाहिए।

बच्चों का कमरा

बच्चों के कमरे के लिए ऐसे रंग चुने जाने चाहिए जो उनके मनोविकास और पढ़ाई में सहायक हों। हल्का हरा और नीला रंग शांति और एकाग्रता को बढ़ाते हैं, जबकि पीला और नारंगी सीमित मात्रा में रचनात्मकता और खुशी को बढ़ावा देते हैं। बहुत गहरे रंग जैसे गहरा ग्रे और काला, बच्चों के मन में उदासी या निष्क्रियता ला सकते हैं।

रसोई

रसोई घर अग्नि तत्व से जुड़ा होता है, इसलिए यहां गर्म और जीवंत रंगों का होना आवश्यक है। नारंगी, लाल (थोड़ी मात्रा में), पीला, सफेद और हल्का गुलाबी रंग यहां सकारात्मक ऊर्जा और भोजन में स्वाद का संचार करते हैं। गहरा नीला और काला रंग अग्नि तत्व के विपरीत माने जाते हैं, जो असंतुलन ला सकते हैं।

पूजा घर

पूजा घर के लिए हल्के और शांत रंग जैसे सफेद, हल्का पीला और हल्का नारंगी श्रेष्ठ माने जाते हैं। ये रंग मानसिक शांति, ध्यान और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाते हैं। सफेद रंग शुद्धता का प्रतीक है, जबकि पीला और नारंगी शुभता और ईश्वर से जुड़ाव को प्रबल करते हैं।

बाथरूम

स्नानघर यानी बाथरूम में सफेद, हल्का ग्रे और हल्का नीला जैसे रंग अपनाना चाहिए, जो साफ-सफाई और तरोताज़गी का एहसास कराते हैं। वहीं गहरे रंग, विशेषकर काला और लाल, वहां के माहौल को भारी और असंतुलित बना सकते हैं।

रंगों के चुनाव में सावधानियां

  • बहुत अधिक गहरे और चमकीले रंगों से बचें : ये रंग घर में बेचैनी और अस्थिरता ला सकते हैं।
  • प्राकृतिक और मिट्टी से जुड़े रंगों का करें चुनाव : ये रंग स्थिरता, सुकून और संतुलन बनाए रखते हैं।
  • रंगों का संतुलन ज़रूरी है : किसी एक ही रंग का अत्यधिक प्रयोग भी वातावरण में असंतुलन पैदा कर सकता है।
  • सजावटी वस्तुओं में भी रखें वास्तु का ध्यान : सिर्फ दीवारों पर ही नहीं, बल्कि फर्नीचर, पर्दे, चित्र और सजावटी वस्तुओं में भी वास्तु के अनुसार रंगों का चयन करें।

Disclaimer : यहां दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना पर आधारित है। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।