500 साल बाद सांपों के सरताज की मालवा में एंट्री, सीएम ने कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय को दी किंग कोबरा की सौगात

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर के कमला नेहरू चिड़ियाघर में कर्नाटक से लाए गए नर किंग कोबरा को सौंपा, जिससे सांपों के संरक्षण और ब्रीडिंग की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया। उन्होंने बर्ड पार्क सहित विभिन्न प्राणियों का अवलोकन कर जैव विविधता संरक्षण के प्रयासों की सराहना की।

Srashti Bisen
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इंदौर, जिसे मां अहिल्याबाई की नगरी कहा जाता है, एक बार फिर चर्चा में है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मंत्रि-परिषद की बैठक के सिलसिले में इंदौर पहुंचे और इस अवसर पर उन्होंने कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय (चिड़ियाघर) का विशेष दौरा किया। इस दौरान उन्होंने कर्नाटक से लाए गए नर किंग कोबरा को चिड़ियाघर के स्नैक पार्क में विधिवत रूप से छोड़ा। CM मोहन यादव ने कहा कि मालवा की भूमि पर 500 साल बाद किंग कोबरा आया हैं।

यह उल्लेखनीय है कि इंदौर का वातावरण किंग कोबरा का प्राकृतिक आवास नहीं है, फिर भी चिड़ियाघर प्रबंधन ने उसके लिए एक अनुकूल और सुरक्षित आवास तैयार किया है, जिसकी मुख्यमंत्री ने सराहना की।

सांप संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम

मुख्यमंत्री डॉ. यादव लंबे समय से सांपों, विशेषकर किंग कोबरा जैसे दुर्लभ और महत्वपूर्ण सर्पों के संरक्षण की वकालत करते रहे हैं। अब तक चिड़ियाघर में मादा किंग कोबरा मौजूद थी, और नर की आमद से प्रजनन की संभावनाएं बढ़ गई हैं। चिड़ियाघर में विशेष ब्रीडिंग सुविधा भी विकसित की गई है जिससे भविष्य में इनकी प्राकृतिक रूप से संतुलित संख्या बढ़ाई जा सकेगी, जो जैव विविधता और इको सिस्टम के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

किंग कोबरा: प्रकृति का बुद्धिमान संरक्षक

किंग कोबरा को उसकी लंबाई, विष की तीव्रता और व्यवहारिक समझ के कारण विश्व के सबसे अनूठे सांपों में गिना जाता है। यह सर्प परिस्थितियों के अनुसार अपने शिकार की रणनीति बदल सकता है, जो इसे अत्यधिक बुद्धिमान बनाता है। मादा कोबरा की विशेषता यह है कि वह अन्य सर्पों के विपरीत घोंसला बनाकर अंडों की देखभाल करती है। किसान समुदाय के लिए किंग कोबरा एक मित्र के रूप में देखा जाता है, क्योंकि यह खेतों में चूहों जैसी हानिकारक प्रजातियों को नियंत्रित करता है।

बर्ड पार्क में पक्षियों के साथ बिताया समय

मुख्यमंत्री ने चिड़ियाघर के बर्ड पार्क का भी दौरा किया जहाँ उन्होंने अनेक प्रजातियों के पक्षियों का अवलोकन किया। विभिन्न रंग-बिरंगे और दुर्लभ पक्षियों को देखकर वे अभिभूत हो गए और स्वयं अपने हाथों से पक्षियों को दाना भी खिलाया। इस दौरान उन्होंने शुतुरमुर्ग, पॉकेट मंकी जैसे अन्य जीवों को भी देखा और उनके संरक्षण प्रयासों की सराहना की। इस विशेष भ्रमण में जनप्रतिनिधि, चिड़ियाघर के निदेशक डॉ. उत्तम यादव और कई नागरिक भी उपस्थित रहे।