MP बना नरवाई जलाने में देश का नंबर-1 राज्य, उज्जैन तीसरे और इंदौर पाँचवे स्थान पर, जानें कौन सा शहर है शीर्ष पर?

मध्यप्रदेश देश में नरवाई जलाने के मामलों में शीर्ष पर पहुँच गया है। सैटेलाइट डेटा के अनुसार 21 अप्रैल 2025 तक 20,422 से अधिक घटनाएं दर्ज की गईं। विदिशा सबसे प्रभावित जिला है, वहीं उज्जैन तीसरे और इंदौर पाँचवे स्थान पर हैं। इससे वायु प्रदूषण में भारी वृद्धि हुई है।

Srashti Bisen
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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा जारी सीआरईएएमएस बुलेटिन के मुताबिक, मध्य प्रदेश देश का ऐसा राज्य बन गया है जहां नरवाई जलाने की घटनाएं सबसे अधिक दर्ज की गई हैं। 21 अप्रैल 2025 तक प्रदेश में 20,422 से ज्यादा बार गेहूं की पराली (नरवाई) जलाई जा चुकी है। यह डेटा सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग के जरिए तैयार किया गया है।

विदिशा में सबसे ज्यादा घटनाएं

विदिशा, जो केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का संसदीय क्षेत्र है, प्रदेश में सबसे ज्यादा नरवाई जलाने वाले जिलों में शीर्ष पर है। 1 से 21 अप्रैल के बीच ही 3181 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जो 2024 की तुलना में पाँच गुना अधिक हैं।

पिछले वर्षों में इस जिले की स्थिति कुछ बेहतर थी:

  • 2022: 2481 घटनाएं
  • 2023: 941 घटनाएं
  • 2024: 601 घटनाएं

उज्जैन तीसरे और इंदौर पाँचवे स्थान पर

मुख्यमंत्री मोहन यादव का गृह जिला उज्जैन, 21 अप्रैल तक 1606 घटनाओं के साथ तीसरे स्थान पर पहुँच गया है। ये संख्या 2024 की तुलना में तीन गुना अधिक है।

वहीं, साफ-सुथरे शहर के तौर पर पहचाना जाने वाला इंदौर, नरवाई जलाने के मामलों में पाँचवे स्थान पर है। 2024 में जहाँ केवल 387 घटनाएं दर्ज हुई थीं, वहीं 2025 में 21 अप्रैल तक यह संख्या 1281 हो गई है।

प्रदूषण स्तर में लगातार बढ़ोतरी

इंदौर के देपालपुर और महू इलाकों में नरवाई जलाने की घटनाएं सबसे ज्यादा पाई गई हैं। रात में देपालपुर और दिन में महू में आगजनी होती है। इन घटनाओं का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) पर सीधा असर पड़ा है। पूरे अप्रैल माह में एक भी दिन AQI स्तर 100 से नीचे नहीं आया।

प्रशासन की सख्ती और जुर्माना

इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा दिए गए निर्देशों के तहत 13 किसानों पर एफआईआर दर्ज की गई है। इसके साथ ही ज़मीन की मात्रा के हिसाब से आर्थिक दंड निर्धारित किए गए हैं:

  • 2 एकड़ तक: ₹2500 प्रति घटना
  • 2 से 5 एकड़: ₹5000 प्रति घटना
  • 5 एकड़ से अधिक: ₹15,000 प्रति घटना

क्यों जलाई जाती है नरवाई?

पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. डीके वाघेला के अनुसार, किसान गेहूं की कटाई के बाद जल्दी-जल्दी ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई करना चाहते हैं। इस जल्दी के कारण वे खेत साफ करने के लिए नरवाई में आग लगा देते हैं। इसका असर हवा की गुणवत्ता और आसपास के स्वास्थ्य पर पड़ता है।