Darsh Amavasya 2025 : हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या का विशेष महत्व है और इसे श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। इस दिन का महत्व पितरों के लिए अत्यधिक होता है, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन पितर धरती पर आते हैं। दर्श अमावस्या पर पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2025 में, चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या 28 मार्च को शाम 07:55 बजे से शुरू होगी और 29 मार्च को शाम 04:27 बजे समाप्त होगी, इसलिए दर्श अमावस्या 29 मार्च को मनाई जाएगी। हिंदू धार्मिक विश्वास के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन अपने पितरों का तर्पण और पिंडदान करता है, उसे अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और तीन पीढ़ियों तक के पितर मोक्ष को प्राप्त करते हैं। इसके अतिरिक्त, घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है और पितृ दोष भी समाप्त हो जाता है।

तर्पण विधि (Darsh Amavasya 2025)
दर्श अमावस्या के दिन प्रात: काल में किसी पवित्र नदी में स्नान करके तर्पण की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। इसके बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों का तर्पण करना चाहिए। तर्पण के लिए जौ, कुश, गुड़, घी, अक्षत और काले तिल का उपयोग किया जाता है। तर्पण करते समय पितरों का ध्यान करें और जल अर्पित करें। तर्पण के बाद पशु-पक्षियों को भोजन देना और दान करना भी आवश्यक है।
पितरों के तृप्त होने के उपाय
स्कंद पुराण के अनुसार, दर्श अमावस्या पर पितरों को प्रसन्न करने और उनकी मुक्ति के लिए जौ, कुश, गुड़, घी, अक्षत, काले तिल और मधु युक्त खीर गंगा में डालनी चाहिए। ऐसा करने से पितर 100 वर्षों तक तृप्त होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पिंडदान विधि
- सबसे पहले पवित्र नदी में स्नान करें।
- इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
- फिर चौकी पर पितरों की तस्वीर रखें।
- गाय के गोबर, आटा, तिल और जौ से पिंड बनाएं।
- पिंड बनाकर उसे पितरों को अर्पित करें।
- पितरों का ध्यान करते हुए पितृ दोष शांति के मंत्रों का जाप करें।
इस तरह दर्श अमावस्या पर पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
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