होली हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और शुभ पर्व है, जिसे फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि पर पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन चारों ओर रंगों की छटा बिखरी रहती है, और लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर प्रेम और सौहार्द का संदेश देते हैं। यह उत्सव दो दिनों तक चलता है—पहले दिन सुबह होलिका की पूजा की जाती है, और फिर शुभ मुहूर्त में शाम या रात के समय होलिका दहन किया जाता है। इसके अगले दिन रंगों से होली खेलने की परंपरा निभाई जाती है।
होली पर चंद्र देव की पूजा का धार्मिक महत्व
होली के अवसर पर होलिका दहन के दिन चंद्र देव की आराधना करने की परंपरा प्राचीनकाल से चली आ रही है। हिंदू धर्मग्रंथों में चंद्र पूजन को विशेष रूप से शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस दिन रात में चंद्र देव की पूजा करने से सौभाग्य और धन की प्राप्ति होती है। साथ ही, व्यक्ति को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

चंद्र देव की पूजा कैसे करें?
- होलिका दहन की रात सबसे पहले उस स्थान पर जाएं, जहां से चंद्रमा स्पष्ट रूप से दिखाई दे सके।
- इसके बाद चंद्र देव की पूजा के लिए एक थाली तैयार करें। यदि संभव हो, तो चांदी की थाली का उपयोग करें।
- इसके बाद थाली में छुहारे, मखाने, साबूदाने की खीर, सफेद मिठाई, तांबे के लोटे में दूध, घी का दीपक और कुछ अगरबत्तियां रखें।
- इसके बाद चंद्र देव को अर्घ्य अर्पित करते समय दूध चढ़ाना चाहिए।
- उन्हें साबूदाने की खीर और किसी भी सफेद रंग की मिठाई का भोग अर्पित करना चाहिए।
- अंत में चंद्र देव से धन और समृद्धि की कामना करनी चाहिए।
- छुहारे और मखाने को प्रसाद के तौर पर सबमें बांटना चाहिए।
इस साल कब मनाई जाएगी होली ?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे शुरू होगी और 14 मार्च को दोपहर 12:23 बजे समाप्त होगी। ऐसे में होलिका दहन का आयोजन 13 मार्च को किया जाएगा, जबकि रंगों की होली 14 मार्च को पूरे उत्साह के साथ मनाई जाएगी।