Share Market: ड्रैगन के वार से मार्केट बेहाल, भारतीय बाजार में भारी गिरावट, निवेशकों के अरबों डूबे

चीन की अर्थव्यवस्था में तेजी और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की भारी बिकवाली से भारतीय शेयर बाजार पर गहरा असर पड़ा है। जानें कैसे ग्लोबल निवेश भारत से हटकर चीन और यूरोप की ओर बढ़ रहा है।

चीन का ड्रैगन अब ज्वालामुखी की तरह आग बरसा रहा है और भारतीय शेयर बाजार को अपनी चपेट में ले रहा है। इसका सबसे बड़ा सबूत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की भारी बिकवाली है। ग्लोबल मार्केट में चीन ने जबरदस्त वापसी की है, जिससे विदेशी निवेशकों का धन वहां तेजी से प्रवाहित हो रहा है। इसके अलावा, यूरोप के कई देश भी एफपीआई का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, जिससे भारतीय बाजार पर दबाव बढ़ता जा रहा है।

कोविड के बाद चीन को लेकर दुनियाभर में नकारात्मक माहौल बना, जिसका सीधा लाभ भारत को मिला। उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार में तेजी का रुझान था, जिससे एफपीआई ने बड़े पैमाने पर निवेश किया। हालांकि, पिछले पांच महीनों में एफपीआई ने निवेश से अधिक बिकवाली की है, जो बाजार में गिरावट का एक प्रमुख कारण बना। इसी दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की गति भी कुछ हद तक सुस्त पड़ गई, जिससे बाजार पर अतिरिक्त दबाव आया।

भारतीय बाजार से 3.11 लाख करोड़ रुपए हुए बाहर

अक्टूबर 2024 से एफपीआई भारतीय शेयर बाजार में निवेश की तुलना में अधिक बिकवाली कर रहे हैं, जिससे वे लगातार नेट सेलर बने हुए हैं। भारतीय स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच एफपीआई ने कुल 3.11 लाख करोड़ रुपये बाजार से निकाले हैं। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (जैसे म्यूचुअल फंड, एलआईसी, पीएफआरडीए आदि) ने इस अंतर को पाटने की पूरी कोशिश की है, लेकिन एफपीआई की भारी निकासी के सामने यह प्रयास सीमित साबित हुआ है।

Share Market: ड्रैगन के वार से मार्केट बेहाल, भारतीय बाजार में भारी गिरावट, निवेशकों के अरबों डूबे

देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार धीमी पड़ने और आने वाले वर्षों में इसके सुस्त रहने के अनुमान ने एफपीआई को भारतीय बाजार से धन निकालने पर मजबूर कर दिया है। वहीं, पिछले दो तिमाहियों (जुलाई-सितंबर और अक्टूबर-दिसंबर) के दौरान भारतीय कंपनियों ने मुनाफा तो कमाया है, लेकिन उनकी लाभप्रदता में गिरावट दर्ज की गई है। इसी कारण एफपीआई ने बाजार से अपनी पूंजी वापस लेना जारी रखा है।

एफपीआई ने कैसे निकाला पैसा?

अक्टूबर 2024 में एफपीआई ने भारतीय बाजार से 94,017 करोड़ रुपये की पूंजी बाहर निकाली थी। इसके बाद, नवंबर 2024 में भी निकासी का सिलसिला जारी रहा। हालांकि, दिसंबर में एफपीआई का निवेश सकारात्मक रहा, लेकिन जनवरी और फरवरी 2025 में फिर से बिकवाली का दबाव देखने को मिला। अब तक के आंकड़ों के अनुसार, कुल निकासी की राशि लगभग 98,226 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है।

बेलआउट पैकेज से चीन की अर्थव्यवस्था को नई गति

इसके विपरीत, चीन की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूती दिखा रही है। कोविड के बाद आर्थिक गति बढ़ाने के लिए चीन ने रियल एस्टेट और उद्योगों को सहारा देने के लिए बेलआउट पैकेज पेश किया। नवंबर 2024 में, चीन ने 839 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की घोषणा की, जिससे प्रांतीय सरकारों को अपने कर्ज के बोझ को कम करने में सहायता मिली। इसके अलावा, सितंबर के अंत में चीन के केंद्रीय बैंक ने अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ाने के लिए ऋण नियमों में रियायत दी, जिससे रियल एस्टेट बाजार को नया संबल मिला।

चीन से निकलकर यूरोप में बढ़ रहा निवेश

पिछले पांच महीनों में जहां भारतीय बाजार से एफपीआई ने निवेश निकाला है, वहीं चीन और यूरोप के विभिन्न देशों में इसका प्रवाह तेजी से बढ़ा है। जर्मनी में 93 करोड़ डॉलर, स्विट्जरलैंड में 82.4 करोड़ डॉलर, फ्रांस में 65.8 करोड़ डॉलर और नीदरलैंड में 34.4 करोड़ डॉलर का निवेश दर्ज किया गया है। खासतौर पर चीन में, सिर्फ फरवरी के इसी सप्ताह में ही 57.3 करोड़ डॉलर का एफपीआई निवेश पहुंचा है।