द्वारकाधीश मंदिर: दिन में 3 बार चढ़ाई जाती है 52 गज की ध्वजा, ये है महत्व

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हिंदू धर्म में द्वारकाधीश के मंदिर का बहुत ज्यादा महत्व है। ये मंदिर हिन्दुओं के 4 धाम में से एक है। यहां भगवन द्वारकाधीश की पूजा अर्चना की जाती है। आपको बता दे, द्वारकाधीश का अर्थ है द्वारका का राजा। गुजरात राज्य में गोमती नदी के तट पर स्थित द्वारकाधीश का मंदिर भगवन श्री कृष्ण को समर्पित है।

बताया जाता है कि द्वारकाधीश के मंदिर को, बदरीनाथ, रामेश्वरम और जगन्नाथ पुरी के साथ भगवान नारायण के चार पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है। हिन्दू धर्म में इसको लेकर मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान कृष्ण की राजधानी थी। आज हम आपको द्वारकाधीश का महत्व और ध्वजा पर सूर्य और चंद्रमा का है प्रतीक चिन्ह क्या है उसके बारे में बताने जा रहे हैं तो चलिए जानते हैं –

द्वारकाधीश का महत्व –

द्वारकाधीश मंदिर में ध्वजा पूजन का विशेष महत्व होता है। बताया गया है कि इस मंदिर पर 52 गज की ध्वजा फहराती रहती है। इस मंदिर के शिखर पर लगा ध्वज हमेशा ही पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर लहराता रहता है। मान्यताओं के अनुसार, इसे 52 गज ध्वजा भी कहा जाता है।

आपको बता दे, ये भारत का अकेला ऐसा मंदिर है जहां दिन में तीन बार 52 गज की ध्वजा चढ़ाई जाती है। दरअसल, श्रद्धालुओं के बीच इस ध्वजा को लेकर इतनी श्रद्धा और भक्ति है कि उसे चढ़ाने के लिए कई बार तो इन्हें दो साल तक का इंतजार करना पड़ता है।

द्वारकाधीश के मंदिर पर लगे ध्वज में सूर्य और चंद्रमा का प्रती‍क चिह्न बना हुआ है। ऐसे में इसको लेकर ये मान्यता है कि जब तक इस धरती पर सूर्य चंद्रमा रहेंगे तब तक द्वारकाधीश का नाम रहेगा। सूर्य और चंद्रमा को भगवान श्री कृष्ण का प्रतीक माना जाता है। इस लिए द्वारकाधीश मंदिर के शिखर पर सूर्य चंद्र के चिह्न वाले ध्वज लहराते हैं।