छत्तीसगढ़ के युवा उपन्यासकार अभिषेक अग्रवाल का हाल ही में रिलीज उपन्यास ‘द डे आफ्टर माई डेथ’ पाठकों की व्यापक सराहना बटोर रहा है। मनुष्य कर्मों के आधार पर उसकी मृत्यु उपरांत के फल को लेकर अभिषेक ने अपने इस नए उपन्यास का ताना-बाना बुना है।
इस्पात नगरी भिलाई निवासी अभिषेक ने अपना यह उपन्यास व्यापक शोध के बाद लिखा है, जिसमें उन्होंने गरुड़ पुराण जैसे पौराणिक ग्रंथ के दुनिया भर मेें उपलब्ध संस्करणों को बीते 8 साल मेें खूब पढ़ा है। अभिषेक ने अपने इस नए उपन्यास में समाज में मौजूद विडम्बनाओं और समाज की व्यापक बुराईयों को भी उकेरा है। उनके इस उपन्यास को पाठकों की व्यापक सराहना मिल रही है।
अभिषेक अंग्रेजी के बहुचर्चित युवा उपन्यासकार है। उन्होंने इसके पहले उनके बहुप्रशंसित उपन्यासों में 2011 में सॉरी फॉर लविंग यू, 2012 में फॉरगेटिंग द अनफॉरगेटेबल , 2014 में एक चाहत अधूरी सी और 2015 में कम्प्लीटली -इनकंप्लीट को पाठकों का भरपूर प्यार मिला है।
अपने नए उपन्यास पर अभिषेक अग्रवाल ने कहा कि मृत्यु के बाद हमारे कर्म का फल हमेशा जिज्ञासा का विषय रहा है। इस पर हर दौर में लेखकों, चिंतकों और मनीषियों ने बहुत कुछ लिखा और कहा है। यह विषय उन्हें भी बहुत प्रभावित करता है।
अभिषेक ने कहा कि चूंकि घर में शुरू से धार्मिक माहौल रहा है, जिसमे बचपन से ही उन्हें अपने बड़ो से संस्कारो में रामायण, गीता एव अन्य पौराणिक ग्रंथों की जानकारियां मिली है, वहीं मौजूदा दौर में हत्या, बलात्कार, भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता व दहेज सहित कई सामाजिक बुराइयों को उनके जैसा संवेदनशील व्यक्ति हमेशा देखता आया है। अभिषेक ने कहा कि गरूड़ पुराण की पृष्ठभूमि में उन्होंने इन सामाजिक बुराइयों की भयावहता दिखाने की कोशिश की है कि मनुष्य अपने कर्म फल को लेकर सचेत हो जाए।
अभिषेक ने बताया कि उनका नया उपन्यास ‘द डे आफ्टर माई डेथ’ को पाठकों का अच्छा प्रतिसाद मिला है। समूचे छत्तीसगढ़ के अलावा देश के प्रमुख शहरों से इस उपन्यास की मांग बनी हुई है। अभिषेक ने उम्मीद जताई है कि उनके पिछले उपन्यासों की तरह यह कृति भी बेस्ट सेलर साबित होगी।