महाकुंभ में मची भगदड़ का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, PIL दाखिल, की गई ये मांगें

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By Srashti BisenPublished On: January 30, 2025

महाकुंभ 2025 के दौरान मौनी अमावस्या के शुभ अवसर पर उमड़ी अपार भीड़ में हुए भगदड़ हादसे में 30 श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 60 से अधिक लोग घायल हो गए। इस त्रासदी के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता विशाल तिवारी ने जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच में जल्द सुनवाई की अपील की है।

जनहित याचिका में क्या मांगा गया?

जनहित याचिका में महाकुंभ जैसे विशाल आयोजनों की सुरक्षा और व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए महत्वपूर्ण सुधारों की मांग की गई है, जिनमें शामिल हैं:

  • हर राज्य के लिए अलग केंद्र: सभी राज्यों को अपने श्रद्धालुओं के लिए विशेष केंद्र स्थापित करने का निर्देश दिया जाए, ताकि आपात स्थिति में त्वरित सहायता मिल सके।
  • सुरक्षा उपायों की जानकारी: महाकुंभ क्षेत्र में सभी दिशाओं और मार्गों की जानकारी विभिन्न भाषाओं में डिजिटल और भौतिक बोर्ड के माध्यम से उपलब्ध कराई जाए।
  • इलेक्ट्रॉनिक अलर्ट सिस्टम: श्रद्धालुओं को सुरक्षा उपायों और आपातकालीन जानकारी एसएमएस और व्हाट्सएप के जरिए भेजी जाए।
  • मेडिकल इमरजेंसी टीम: सभी राज्य सरकारों को प्रयागराज में अपनी मेडिकल टीम तैनात करने का निर्देश दिया जाए, जिससे दुर्घटनाओं में घायलों को तत्काल उपचार मिल सके।
  • भगदड़ पर स्थिति रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश सरकार से इस घटना पर विस्तृत रिपोर्ट तलब की जाए और दोषी अधिकारियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
  • वीआईपी मूवमेंट का संतुलन: वीआईपी मूवमेंट से आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर कोई असर न पड़े, इसके लिए प्रवेश और निकास मार्गों को बेहतर किया जाए।

कैसे हुआ हादसा?

मौनी अमावस्या के दिन त्रिवेणी संगम में अमृत स्नान के लिए लाखों श्रद्धालु उमड़े थे। अत्यधिक भीड़ और टूटे हुए बैरिकेड्स के कारण हालात बेकाबू हो गए। अनियंत्रित भीड़ अचानक घाटों की ओर बढ़ने लगी और भगदड़ मच गई। इस दौरान कई श्रद्धालु गिर गए, जिन्हें भीड़ ने कुचल दिया।

बदलाव के बड़े फैसले

इस हादसे के बाद प्रशासन ने महाकुंभ की सुरक्षा को लेकर कड़े कदम उठाए हैं:

  • मेला क्षेत्र को “नो व्हीकल जोन” घोषित कर दिया गया है, जिससे अब वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद रहेगी।
  • VVIP पास रद्द कर दिए गए हैं, ताकि आम श्रद्धालुओं की आवाजाही बाधित न हो।