इंदौर के वनमंडलाधिकारी महेंद्र सिंह सोलंकी का आत्मघाती कदम, फांसी लगाकर की आत्महत्या

Abhishek singh
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इंदौर। वनमंडलाधिकारी महेंद्र सिंह सोलंकी की आत्महत्या की खबर मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए एमवाय अस्पताल भेज दिया। उनके कमरे से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ। पुलिस ने उनकी मोबाइल फोन भी जांच के लिए कब्जे में ले लिया है।

इंदौर के वनमंडलाधिकारी महेंद्र सिंह सोलंकी ने शुक्रवार को अपने सरकारी बंगले में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। फिलहाल आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल सका है। वे दोपहर के समय बंगले पर पहुंचे थे और बाद में अपने कमरे में फांसी का फंदा लगाकर जान दे दी।

नौकर ने फंदे पर लटका हुआ पाया

जब सोलंकी देर तक कमरे से बाहर नहीं आए, तो नौकर ने दरवाजा खटखटाया, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। खिड़की से झांकने पर देखा गया कि सोलंकी फांसी के फंदे से झूल रहे थे। उस समय उनकी पत्नी और बेटियां घर पर मौजूद नहीं थीं। नौकर ने तत्परता से परिजनों को सूचना दी। आत्महत्या की सूचना मिलते ही पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए एमवाय अस्पताल भेज दिया। उनके कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, और पुलिस ने उनका मोबाइल फोन भी जांच के लिए कब्जे में ले लिया है।

परिवार में गहरा सदमा, सेवानिवृत्ति से पहले हुआ दुखद घटनाक्रम

परिवार के सदस्य गहरे सदमे में हैं। सोलंकी ने कभी भी अपने परिजनों से किसी प्रकार के तनाव का जिक्र नहीं किया था। वे अगले वर्ष सेवानिवृत्त होने वाले थे। आत्महत्या की खबर मिलने के बाद वन विभाग के अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंचे। डीएफओ सोलंकी को दोपहर में संभागायुक्त कार्यालय में आयोजित बैठक में शामिल होना था, लेकिन उन्होंने खराब तबियत का हवाला देकर बैठक में भाग नहीं लिया। वे नवरतनबाग स्थित अपने सरकारी आवास पर थे। सोलंकी दो साल पहले इंदौर में पदस्थ हुए थे।

खरगोन गई थीं पत्नी और बेटियां

दोपहर में जब सोलंकी बंगले पर लौटे, तो उनकी पत्नी और दोनों बेटियां खरगोन गई हुई थीं, जहां वे एक पूजा में शामिल हो रही थीं। माता-पिता नीचे के कमरे में थे, जबकि सोलंकी ऊपर की मंजिल के कमरे में गए थे। शाम को चाय के लिए पिता ने नौकर को सोलंकी के कमरे में भेजा, लेकिन उन्होंने दरवाजा नहीं खोला। काफी देर तक दरवाजा नहीं खोले जाने पर नौकर ने खिड़की से अंदर झांका और वह हैरान रह गया। सोलंकी फांसी के फंदे से लटके हुए थे। सोलंकी मूलत: खरगोन के निवासी थे, और उनकी एक बेटी एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है।