MP New Tiger Reserve : 2 दिसम्बर, 2024 की तारीख मध्य प्रदेश के लिए ऐतिहासिक बन गई, क्योंकि इस दिन रातापानी (Ratapani Wildlife Sanctuary) को राज्य का आठवां टाइगर रिजर्व (Tiger Reserve) घोषित किया गया। मध्य प्रदेश सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है, जिससे इस क्षेत्र की वन्यजीव संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित हो गई है।
“मध्यप्रदेश को मिला 8वां टाइगर रिजर्व”
माननीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी की दूरदर्शी सोच और कुशल मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश ने पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर स्थापित किया है।#रायसेन जिले में स्थित रातापानी को अब प्रदेश का 8वां टाइगर रिजर्व…
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) December 2, 2024
#WATCH | Bhopal: Madhya Pradesh CM Mohan Yadav says, “I am delighted that the country has received a new Tiger Reserve Park. Ratapani was involved in a matter for 16-17 years now. Our Government resolved the issue. Ratapani is one such Reserve that is close to the state… pic.twitter.com/sTnGrM2Uwc
— ANI (@ANI) December 3, 2024
रातापानी टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल
रातापानी टाइगर रिजर्व का कुल रकबा 1271.465 वर्ग किलोमीटर होगा, जिसमें कोर क्षेत्र का क्षेत्रफल 763.812 वर्ग किलोमीटर और बफर क्षेत्र का क्षेत्रफल 507.653 वर्ग किलोमीटर निर्धारित किया गया है। कोर और बफर क्षेत्र के विस्तार से यह रिजर्व वन्यजीवों के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
कोर और बफर क्षेत्र की सीमा
रातापानी टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में राजस्व ग्राम झिरी बहेड़ा, जावरा मलखार, देलावाड़ी, सुरई ढाबा, पांझिर, कैरी चौका, दांतखो, साजौली और जैतपुर जैसे 9 ग्राम शामिल हैं। हालांकि, इन ग्रामों का रकबा बफर क्षेत्र में आता है, और इनकी भूमि का इस्तेमाल ग्रामवासियों के द्वारा जारी रहेगा, ताकि उनके मौजूदा अधिकारों में कोई बदलाव न हो।
मध्य प्रदेश: टाइगर स्टेट का दर्जा और बढ़ती बाघों की संख्या
मध्य प्रदेश को “टाइगर स्टेट” का दर्जा प्राप्त है, और यह भारत में बाघों के संरक्षण का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र बन चुका है। 2022 की गणना के अनुसार, राज्य में 785 बाघ पाए गए हैं, जो 2018 में 526 थे। इस वृद्धि के पीछे बाघों के लिए बनाए गए नए अभयारण्यों और रिजर्व क्षेत्रों का प्रमुख योगदान है।
ग्रामीणों को मिलेगा लाभ, पर्यटन से रोजगार के अवसर
रातापानी के टाइगर रिजर्व बनने से स्थानीय ग्रामीणों को पर्यावरण आधारित रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। इस क्षेत्र में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा, जिससे गांववासियों को पर्यटन से आय प्राप्त होगी। इसके साथ ही, टाइगर रिजर्व बनने से इस क्षेत्र में वन्यजीवों का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा, क्योंकि भारत सरकार के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से वित्तीय सहायता प्राप्त होगी।
रातापानी को मिलेगी अंतर्राष्ट्रीय पहचान
रातापानी टाइगर रिजर्व के बनने से न केवल मध्य प्रदेश को बल्कि भारत को भी एक नया वन्यजीव गंतव्य मिलेगा। इसके साथ ही, भोपाल शहर को “टाइगर राजधानी” के रूप में अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिलेगी, जो राज्य के पर्यटन और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक नई दिशा तय करेगा।