Maintenance Dispute: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मां-बेटी के बीच के एक विवाद में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए बेटी संगीता कुमारी को निर्देश दिया है कि वह अपनी मां के इलाज के खर्च का 25 फीसदी हिस्सा चुकाए। यह मामला रांची के एक अस्पताल में भर्ती मां के इलाज से जुड़ा है। संगीता ने अदालत का रुख कर अपनी मां की देखभाल और खर्च को लेकर विवाद का समाधान मांगा था।
HC का निर्णय
जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने अपने फैसले में धार्मिक ग्रंथों का उल्लेख करते हुए कहा कि मां का सम्मान करना हर संतान का कर्तव्य होता है। उन्होंने तैत्तिरीय उपनिषद से “मातृ देवो भवः” (मां को देवता के रूप में मानो) और रहीम के दोहे “क्षमा बड़न को चाहिये, छोटन को उत्पात” का हवाला देकर बेटी को अपनी मां के प्रति जिम्मेदारी निभाने का निर्देश दिया।
संगीता का तर्क
संगीता ने पहले परिवार अदालत के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे अपनी मां की देखभाल के लिए हर महीने 8,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया था। मां ने यह आवेदन दायर किया था, जिसमें उन्होंने अपनी बेटी से गुजारा भत्ता की मांग की थी। संगीता का कहना था कि उसकी चार और बहनें हैं, जो संपत्ति में हिस्सा पा चुकी हैं, फिर भी केवल उससे ही गुजारे की मांग की जा रही है।
कोर्ट का दृष्टिकोण
परिवार अदालत ने संगीता की गुजारा भत्ता देने का आदेश वापस लेने की अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसके बाद संगीता ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने कहा कि संगीता को अपनी मां के प्रति जिम्मेदारी निभानी चाहिए। अदालत ने यह भी बताया कि मां-बेटी के रिश्ते में प्रेम बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि संतान अपनी मां के प्रति सम्मान और देखभाल का भाव रखे।
अगली सुनवाई
मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी, जिसमें उम्मीद की जा रही है कि दोनों पक्षों के बीच विवाद का सही समाधान निकल सकेगा।