RBI MPC Meet: लोन EMI पर जल्द आ सकती है खुशखबरी, गवर्नर ने दिए ये संकेत

Share on:

RBI MPC Meet: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लगातार 10वीं बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है, लेकिन अब उसने अपने रुख को तटस्थ बना दिया है। इस बदलाव का संकेत है कि दिसंबर या फरवरी में ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। आरबीआई गवर्नर ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की घोषणा के दौरान इस संभावित कटौती का आधार तैयार किया है। इसके परिणामस्वरूप शेयर बाजार में तेजी देखी जा रही है, जहां निफ्टी 167 अंकों की बढ़त पर है और सेंसेक्स 82,000 अंक के पार पहुँच गया है।

ब्याज दरों का स्थिर रहना

आरबीआई के छह सदस्यों में से पांच ने ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है। फरवरी 2023 के बाद से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जबकि इससे पहले मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच इसमें 2.50 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जिससे यह 6.5 प्रतिशत पर स्थिर है। विशेषज्ञों का मानना था कि अन्य केंद्रीय बैंकों की कटौती के बाद आरबीआई भी अपने रुख में बदलाव करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

अर्थव्यवस्था की वृद्धि का अनुमान

आरबीआई गवर्नर ने भविष्यवाणी की है कि आने वाली तिमाहियों में अर्थव्यवस्था में सुधार देखने को मिलेगा। तीसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने की संभावना है, जबकि चौथी तिमाही के लिए यह 7.4 प्रतिशत का अनुमान है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

महंगाई के अनुमान में बदलाव

महंगाई दर के संदर्भ में, आरबीआई ने तीसरी तिमाही के लिए अनुमान बढ़ा दिया है। अब यह 4.8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जबकि चौथी तिमाही में यह घटकर 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए महंगाई का अनुमान भी घटाया गया है।

शेयर बाजार की प्रतिक्रिया

आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया, लेकिन तटस्थ रुख रखकर बाजार को सकारात्मक संकेत दिया है। सेंसेक्स ने 300 अंकों की बढ़त के साथ 81,976.18 अंक पर कारोबार किया, जबकि निफ्टी 121.35 अंक की बढ़त के साथ 25,134.50 पर पहुंच गया।

आम जनता की उम्मीदें

हालांकि, आम जनता को उम्मीद थी कि आरबीआई ब्याज दरों में कटौती करेगा, विशेष रूप से जब महंगाई जुलाई और अगस्त में 4 प्रतिशत से नीचे थी। लेकिन आरबीआई ने वर्तमान वित्त वर्ष में रेपो रेट में कटौती के संकेत नहीं दिए हैं, जिसका मतलब है कि कटौती अगले वित्त वर्ष तक हो सकती है।

वैश्विक परिस्थितियों का प्रभाव

भूराजनीतिक तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि ने महंगाई को बढ़ाने की संभावना को जन्म दिया है। ऐसे में आरबीआई सतर्क है और अपने निर्णयों में सावधानी बरत रहा है। गवर्नर ने यह भी कहा कि भारत की मौद्रिक नीति देश की विशेष परिस्थितियों के आधार पर निर्धारित होगी, न कि केवल अन्य देशों के निर्णयों पर।