Sharadiya Navratri 2024: नवरात्रि के पावन अवसर पर भक्तगण मां दुर्गा की विभिन्न स्वरूपों की पूजा में लीन हैं। इस पर्व का हर दिन विशेष महत्व रखता है और हर दिन मां दुर्गा के एक अलग स्वरूप की आराधना की जाती है। नवरात्रि का पांचवां दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है।
Sharadiya Navratri 2024: मां स्कंदमाता का स्वरूप
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां स्कंदमाता चार भुजाओं वाली हैं। इनमें से दो हाथों में कमल का फूल है, जबकि एक हाथ में वे बालक स्कंद (कार्तिकेय) को लेकर विराजमान हैं और दूसरे हाथ में बाण पकड़े हुए हैं। मां स्कंदमाता पद्मासना देवी के नाम से भी जानी जाती हैं, क्योंकि वे कमल के आसन पर बैठी हैं। उनका वाहन सिंह है, जो उनकी शक्ति और तेज को दर्शाता है।
Sharadiya Navratri 2024: पूजा का शुभ समय
वैदिक पंचांग के अनुसार, मां स्कंदमाता की पूजा के लिए शुभ समय सुबह 11:40 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक रहेगा। इस समय के बीच भक्तगण विशेष रूप से मां की आराधना कर सकते हैं।
Sharadiya Navratri 2024: मां स्कंदमाता की पूजा विधि
- स्नान और शुद्धता: नवरात्रि के पांचवे दिन सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
- पूजा स्थान की तैयारी: घर के मंदिर या पूजा स्थल पर मां स्कंदमाता की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। गंगाजल से उस स्थान को शुद्ध करें।
- कलश स्थापना: एक कलश में जल लें, उसमें कुछ सिक्के डालकर एक तरफ रखें।
- पूजा का संकल्प: पूजा का संकल्प लें।
- आरती और भोग: मां को रोली-कुमकुम लगाएं और नैवेद्य चढ़ाएं। धूप-दीप से आरती करें और मंत्रों का जाप करें। मां स्कंदमाता को सफेद रंग प्रिय है, इसलिए भक्तों को सफेद कपड़े पहनना चाहिए और देवी को केले का भोग अर्पित करना चाहिए।
Sharadiya Navratri 2024: मां स्कंदमाता की पूजा का महत्व
स्कंदमाता की पूजा का विशेष महत्व है, खासकर उन लोगों के लिए जो संतान सुख की कामना रखते हैं। मान्यता है कि नवरात्रि के इस दिन मां की आराधना से संतान प्राप्ति में बाधाएं दूर होती हैं। यह स्वरूप बुद्धि और ज्ञान का विकास भी करता है, जिससे पारिवारिक शांति बनी रहती है। मां स्कंदमाता की कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, खासकर संतान सुख की इच्छा रखने वालों के लिए।