Supreme Court: आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा स्थापित ईशा फाउंडेशन हाल के विवादों के चलते सुर्खियों में है। सुप्रीम कोर्ट ने आज फाउंडेशन को महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है।
Supreme Court का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ चल रही पुलिस जांच पर रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी, जिससे फाउंडेशन को कुछ समय मिला है।
याचिका का आधार
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बेटियों लता और गीता को फाउंडेशन के आश्रम में बंधक बना कर रखा गया है।
मद्रास उच्च न्यायालय की टिप्पणियाँ
मद्रास उच्च न्यायालय ने 1 अक्टूबर को सद्गुरु से प्रश्न किया कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी के बावजूद अन्य महिलाओं को एकांत जीवन जीने के लिए क्यों प्रेरित किया। यह टिप्पणी प्रोफेसर एस कामराज की याचिका पर की गई थी।
सद्गुरु का Supreme Court में कदम
सद्गुरु ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। आज कोर्ट ने मामले को मद्रास उच्च न्यायालय से अपने पास ट्रांसफर करते हुए तमिलनाडु पुलिस को रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया।
महिलाओं की स्थिति
ईशा फाउंडेशन ने बताया कि दोनों लड़कियाँ, जो 2009 में आश्रम में आई थीं, अपनी मर्जी से वहां रह रही हैं। उच्च न्यायालय के निर्देश के तहत, सीजेआई ने दो महिला संन्यासियों से भी बातचीत की, जिन्होंने पुष्टि की कि दोनों बहनें अपनी इच्छा से फाउंडेशन में हैं।
पुलिस की कार्रवाई
मद्रास उच्च न्यायालय ने 30 सितंबर को तमिलनाडु पुलिस को ईशा फाउंडेशन से संबंधित सभी आपराधिक मामलों की जांच करने का निर्देश दिया था। इसके बाद, 1 अक्टूबर को लगभग 150 पुलिसकर्मी जांच के लिए कारवां सराय पहुंचे।
इस प्रकार, ईशा फाउंडेशन का यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नए मोड़ पर पहुंच गया है, जहां फाउंडेशन को राहत मिली है लेकिन जांच का विषय अभी भी सक्रिय है।