कुछ महीने पहले खबर आई थी कि भारतीय मसाला कंपनियों के उत्पादों में कीटनाशकों के अंश पाए गए हैं, जिसके कारण सिंगापुर और हांगकांग ने कुछ भारतीय मसाला उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया। इस घटनाक्रम ने देश में हलचल मचा दी और कृषि जिंसों के लिए मानकों की आवश्यकता की मांग उठने लगी।
राष्ट्रीय कृषि कोड का निर्माण
सरकार ने इस दिशा में कदम उठाते हुए देश में नेशनल एग्रीकल्चर कोड (एनएसी) तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) देश में विभिन्न उत्पादों और प्रक्रियाओं के लिए मानक निर्धारित करने के लिए जिम्मेदार है। अब वह कृषि क्षेत्र में भी मानकों की स्थापना करने जा रहा है।
राष्ट्रीय कृषि संहिता का उद्देश्य
बीआईएस के अनुसार, एनएसी का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में गुणवत्ता और सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देना है। इसमें उभरती कृषि प्रौद्योगिकियों, नवीन कृषि गतिविधियों और बदलती क्षेत्रीय परिस्थितियों का समावेश होगा। इस कोड के माध्यम से उन क्षेत्रों की पहचान की जाएगी जहां मानकीकरण की कमी है, और उनके लिए आवश्यक मानकों का विकास किया जाएगा।
मानकीकरण की आवश्यकता
एनएसी को उसी तर्ज पर विकसित किया जाएगा जैसे कि बीआईएस ने पहले भवन निर्माण के लिए नेशनल बिल्डिंग कोड (एनबीसी) और बिजली क्षेत्र के लिए नेशनल इलेक्ट्रिकल कोड (एनईसी) तैयार किया है। ये मानक कोड उद्योग जगत और आम जनता दोनों के लिए लाभकारी साबित हुए हैं।
एनएसी के संभावित लाभ
बीआईएस के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने बताया कि एनएसी कृषि मशीनरी, उपकरण और कच्चे माल के लिए मौजूदा मानकों को सशक्त करेगा। यह नीति निर्माताओं के लिए आवश्यकताओं के अनुरूप भारतीय कृषि में गुणवत्तापूर्ण संस्कृति को स्थापित करने में मदद करेगा।
किसानों के लिए अनुकूल माहौल
बीआईएस के उप महानिदेशक (मानकीकरण) संजय पंत ने कहा कि एनएसी कृषि क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखता है। यह किसानों के सामने आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए काम करेगा और कुशल तथा टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देगा। एनएसी ग्रामीण भारत में लाखों लोगों की आजीविका को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।