Aadhaar-PAN Card: एक आधिकारिक बयान में गुरुवार को बताया गया है कि सरकार ने कुछ वेबसाइटों को ब्लॉक कर दिया है, जो भारतीय नागरिकों की आधार और पैन कार्ड जैसी संवेदनशील जानकारी को उजागर कर रही थीं। यह कार्रवाई इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-IN) द्वारा की गई है, जिसने इन वेबसाइटों में सुरक्षा कमजोरियां पाई थीं।
बयान में कहा गया है कि यह मुद्दा गंभीरता से लिया गया है क्योंकि सरकार सुरक्षित साइबर प्रथाओं और व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। इस संदर्भ में, तुरंत इन वेबसाइटों को ब्लॉक करने का निर्णय लिया गया।
पुलिस में शिकायत दर्ज
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आधार अधिनियम, 2016 के तहत सार्वजनिक रूप से आधार जानकारी का प्रदर्शन करने पर रोक लगाने के लिए संबंधित पुलिस अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज की है। CERT-IN के बयान में कहा गया है कि इन वेबसाइटों के विश्लेषण से सुरक्षा खामियां सामने आई हैं। वेबसाइट मालिकों को अपने ICT बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और कमजोरियों को ठीक करने के लिए मार्गदर्शन दिया गया है।
नियम और कानून
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सूचना प्रौद्योगिकी (उचित सुरक्षा प्रथाएं और प्रक्रियाएं और संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा या सूचना) नियम, 2011 को लागू किया है, जो संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा के सार्वजनिक प्रदर्शन पर रोक लगाता है। कोई भी प्रभावित पक्ष शिकायत दर्ज करने और मुआवजे की मांग के लिए IT अधिनियम के निर्णायक अधिकारियों से संपर्क कर सकता है।
MeitY ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 को भी अधिनियमित किया है और इसके तहत नियमों के मसौदे को अंतिम रूप देने के चरण में है।
वेबसाइटों की स्थिति
हालांकि सरकार ने इन वेबसाइटों को ब्लॉक करने की घोषणा की है, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, ब्लॉक की गई वेबसाइटें अभी भी सक्रिय हैं। यह चिंता का विषय है, क्योंकि व्यक्तिगत जानकारी के लीक होने से नागरिकों को ऑनलाइन धोखाधड़ी का खतरा बढ़ जाता है।
पिछले हफ्ते एक साइबर सुरक्षा शोधकर्ता ने खुलासा किया था कि स्टार हेल्थ इंश्योरेंस ने 31 लाख ग्राहकों का डेटा बेचा था। एक हैकर ने बताया कि उसने ग्राहक डेटा और कंपनी के दावों तक पहुंच के लिए टेलीग्राम बॉट बनाए थे, और यह सौदा शुरू में 28,000 अमेरिकी डॉलर में तय हुआ था, लेकिन बाद में 1,50,000 अमेरिकी डॉलर की मांग की गई।
यह स्थिति न केवल नागरिकों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है, बल्कि यह यह भी दिखाती है कि व्यक्तिगत डेटा के लीक होने की समस्या कितनी व्यापक हो चुकी है।