सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर याचिकाओं के लंबित होने के कारण हाईकोर्ट ने OBC आरक्षण की याचिकाओं को सुनने से किया इंकार!

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ओबीसी आरक्षण की समस्त 89 आज दिनांक 31/7/24 को कार्यवाहक मुख्य न्याय मूर्ति संजीव सचदेवा एवं जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ में सुनवाई हेतु नियत थी ! सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने पूर्व की आदेश पत्रिकाओं का अवलोकन किया तथा शासन पक्ष की ओर से हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित स्थानांतरण याचिकाओं की वर्तमान स्थिति के बारे में पूछा तब हाई कोर्ट के संज्ञान में आया कि सुप्रीम कोर्ट में लंबे 9 ट्रांसफर याचिकाओं मैं से एक ट्रांसफर याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ओबीसी प्रकरणों की सुनवाई किए जाने हेतु हाईकोर्ट को रोक लगाई गई है!

सुप्रीम कोर्ट की उक्त आदेश पत्रिका का अवलोकन करने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति द्वारा स्पष्ट रूप से कहा गया कि उक्त यशिकाओं में सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय के बाद ही ओबीसी आरक्षण के प्रकरणों की सुनवाई कर कर सकेगी अतः हाई कोर्ट द्वारा उक्त समस्त याचिकाओं को आगामी 4 सप्ताह के लिए सुनवाई स्थगित कर दी गई!

इसी दौरान याचिका क्रमांक wp/5596/24 के अधिवक्ता द्वारा हाई कोर्ट को बताया गया कि उक्त याचिका में दिनांक 16 जुलाई 2024 को हॉल अभ्यर्थियों की मेरिट लिस्ट डिसक्लोज न करने पर ₹50 हजार की शासन पर काष्ट लगाई गई है, तब हाई कोर्ट ने कहा कि यदि हॉल अभ्यर्थियों की मेरिट डिस्क्लोज कर दी जाती है तो हाई कोर्ट में मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी इसलिए काष्ट (जुर्माना ) के बावजूद भी हाईकोर्ट ने उक्त लिस्ट डिस्क्लोज करने के तर्क को नहीं दी कोई तर्जी !

मध्य प्रदेश सरकार चाहती है कि ओबीसी के समस्त आरक्षण के प्रकरणों की सुनवाई माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जाना चाहिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ के प्रकरण में नौ जजों की संवैधानिक पीठ द्वारा ओबीसी के 27 परसेंट आरक्षण को संवैधानिक करार दिया है! अतः मध्य प्रदेश में पिछड़े वर्ग की 5o% से अधिक आबादी को दृष्टिगत रखते हुए मध्य प्रदेश शासन द्वारा ओबीसी को 14 से बढ़ाकर ओबीसी को 27 परसेंट आरक्षण दिया गया है, उक्त 27 परसेंट आरक्षण की वैधानिकता को जांचने का अधिकार सिर्फ माननीय सुप्रीम कोर्ट को ही है.

इन्हीं आधारों पर मध्य प्रदेश शासन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर ट्रांसफर याचिकाओ में एक याचिका में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थागन आदेश पारित कर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को ओबीसी आरक्षण के प्रकरणों की सुनवाई करने पर रोक लगा दी गई है! जिस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्ट आदेश पारित किया गया है उसे प्रकरण का भी हाईकोर्ट द्वारा सूक्ष्मता से परीक्षण किया गया तथा पाया कि उक्त प्रकरण में भी ओबीसी के 27 परसेंट कानून की वैधानिकता को चुनौती दी गई है इसलिए उक्त समस्त प्रकरणों की सुनवाई प्रथक प्रथक ना करके एक साथ की जाएगी!

ओबीसी आरक्षण के पक्ष में दाखिल लगभग 26 याचिकाओं मैं पर भी अधिवक्ता उदय कुमार साहू, प्रशांत चौरसिया,राजेंद्र चौधरी, परमानंद साहू, राम भजन लोधी,रूप सिंह मरावी, पुष्पेंद्र कुमार शाह नए पक्ष रखा मध्य प्रदेश शासन की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल आशीष बर्नार्ड, हरप्रीत सिंह रूपराह तथा मध्य प्रदेश शासन की ओर से ओबीसी का पक्ष रखने के लिए नियुक्त विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद ने पक्ष रखा!