पीपली बाजार जैन उपाश्रय में आयोजित दो दिवसीय प्रवचनमाला का हुआ समापन, आज वर्धमान नगर में बहेगी प्रवचनों की अमृत वर्षा
इन्दौर 28 मई। जिस प्रकार दूध पानी मिलाने से पतला, शकर मिलाने से मीठा और जामन मिलाने से दही बन जाता उसी तरह हमारा जीवन भी दूध के समान होना चाहिए। जिस प्रकार दूध का सार मलाई, जीवन का सार भलाई है तो संयम जीवन का सार क्षमा(उपसम ) है। बगैर बुद्धि के श्रद्धा तो चल सकती है लेकिन बगैर श्रद्धा के बुद्धि नहीं चलेगी। उक्त विचार श्री अर्बुद गिरिराज जैन श्वेतांबर तपोगच्छ उपाश्रय ट्रस्ट पिपली बाजार में मंगलवार को जैन आचार्य विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा ने अपनी प्रवचन श्रृंखला में श्रावक श्रविकाओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने आगे अपने प्रवचन में कहा कि जो तुम अपने लिए चाहते वही तुम दूसरों के लिए भी चाहो यही स्नेह की परिभाषा है। जिस प्रकार से शरीर के अंग भी आजकल नकली आ गए हैं उसी तरह हमारी श्रद्धा भी नकली हो गई है। किसी को पाप कर्म के मार्ग पर चलाना बड़ा काम नहीं होता लेकिन किसी को धर्म मार्ग पर चलाना यह बड़ी बात होती है।
श्री नीलवर्णा पाश्र्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट अध्यक्ष विजय मेहता एवं कल्पक गांधी ने बताया कि बुधवार 29 मई को आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा वर्धमान नगर में सुबह 9.15 से 10.15 बजे तक प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे। इसी के साथ 30 मई से 1 जून गुमाश्ता नगर, 2 से 3 जून द्वारकापुरी श्रीसंघ, 4 जून पाŸवनाथ नगर, 5 से 9 जून तिलक नगर श्रीसंघ, 10 से 12 जून अनुराग नगर श्रीसंघ, 13 से 14 जून विजय नगर श्रीसंघ, 15 से 16 जून सुखलिया, 17 से 18 जून क्लर्क कालोनी, 19 से 21 जून वल्लभ नगर, 22 से 23 जून पत्थर गोदाम, 24 से 29 जून रेसकोर्स रोड़, 30 जून राऊ एवं 1 से 3 जून जानकी नगर श्रीसंघ में आचार्यश्री का मंगल प्रवेश होगा।