आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का दुनिया लोहा मान रही है। इस तकनीक की मदद से असंभव दिखने वाले कार्य भी आसान लगने लगें हैं। ऐसा ही एक मामला दिल्ली से सामने आया है। जहां एक मृत व्यक्ति की पहचान करने में पुलिस द्वारा एआई तकनीक का इस्तेमाल किया गया हैं। पुलिस ने एआई के जरिए एक ब्लाइंड मर्डर केस को सुलझाने में कामयाबी हासिल की है.
दरअसल के गीता कॉलोनी फ्लाईओवर के नीचे एक नौजवान की लाश मिलती है. जिसकी शिनाख्त लगाना पुलिस को मुस्किल हो रहा था। लाश के पास ऐसी कोई भी चीज या आईडी भी नही थी, जिससे मरने वाले की पहचान हो पाती. पुलिस अब समझ चुकी थी कि कातिल ने बेहद शातिराना तरीके से लाश को ठिकाने लगाने के लिए उसे गीता कॉलोनी के फ्लाई ओवर के नीचे फेंक दिया है.
इस दौरान पुलिस ने एआई तकनीक की मदद लेने का फैसला किया. पुलिस ने लाश के चेहरे को कुछ इस तरीके से मॉडिफाई किया कि जैसे उसकी आंखें खुली नजर आए. फिर क्या था? जल्द ही पुलिस ने एआई से डेवलप की गई इस नई तस्वीर के पोस्टर छपवाए. उन्हें अलग-अलग थानों में शेयर कर दिया.इत्तेफाक से मरने वाले शख्स के छोटे भाई ने उसकी पहचान कर ली. उसने बताया कि ये उसके भाई हितेंद्र की तस्वीर है.
लाश की शिनाख्त होने के बाद पुलिस ने अपनी जांच में तेंजी लाई और कातिलों की खोज में जुट गई। जांच में पता चला कि कुछ रोज पहले उसका तीन लड़कों के साथ किसी बात पर झगड़ा हुआ था. पुलिस ने वारदात वाले दिन की उसकी लोकेशन की जांच की और दूसरे सुरागों से ये पता लगा लिया कि उन्हीं तीन लड़कों ने हितेंद्र की गला घोंट कर हत्या की थी. लाश को ठिकाने लगा दिया था.
इस घटना के बाद एआई ने पुलिस को केश साल्व करने के मामले में नई संभावनाए जागृत कर दी है। वो अपने आप में नायाब तो है ही, एक नजीर भी है. वैसे भी जिस तरह अपराधी स्मार्ट होते जा रहे हैं. आधुनिक युग में तकनीक के इस्तेमाल के सहारे वारदातों को अंजाम दे रहे हैं, ऐसे में पुलिस को भी हाईटेक होना पड़ेगा. दिल्ली पुलिस ने इसकी एक नजीर पेश कर दी है.