प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु एवं रामचरित मानस के प्रचारक पूज्य मोरारी बापू ने नाथद्वारा में श्रीनाथ जी तथा भगवान शिव की 369 फीट ऊंची स्टैच्यू ऑफ बिलीफ के दर्शन किये।
स्टैच्यू ऑफ बिलीफ को विश्वास स्वरूपम के नाम से भी जाना जाता है, यह दुनिया में भगवान शिव की सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक है और दुनिया की पांच सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक है।भगवान राम और रामायण की शिक्षाओं के प्रसार के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले मोरारी बापू ने श्रावस्ती में अपनी रामकथा शुरू करने से एक दिन पहले स्टैच्यू ऑफ बिलीफ के सामने प्रार्थना की। श्रावस्ती में भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद समय व्यतीत किया था ।
स्टैच्यू ऑफ बिलीफ परियोजना की कल्पना मिराज ग्रुप के अध्यक्ष मदन पालीवाल ने की थी। प्रतिमा में 34 मीटर का पेडस्टल शामिल है, जिसे शापूरजी पालोनजी ने बनाया था। 369 फीट ऊंची इस प्रतिमा को 20 किलोमीटर की दूरी से देखा जा सकता है।
प्रतिमा का निर्माण वर्ष 2012 में शुरू हुआ और 29 अक्टूबर, 2022 को इसका अनावरण किया गया। तब से यह आध्यात्मिक श्रद्धा का प्रतीक बन गया है। स्टैच्यू ऑफ बिलीफ क्षेत्र के सबसे लोकप्रिय धार्मिक स्थलों में से एक बन गया है।