Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य, जिन्होंने अपनी कूटनीति और नीतियों के कारण सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के साथ ही पूरे भारत में महान प्रतिष्ठान प्राप्त किया, ने अपनी नीतियों में शत्रुओं को अपना साथी बनाने का उपाय बताया है। इसके आधार पर, वह सिखाते हैं कि कैसे हमें किसी भी परिस्थिति में उच्च स्थिति बनाए रखने के लिए हमें बुद्धिमानी और नीति का सही उपयोग करना चाहिए। आचार्य चाणक्य, एक अद्भुत कूटनीतिज्ञ और धार्मिक विचारक, ने अपने दीर्घकालिक आध्यात्मिक जीवन में शत्रुओं को अपने सहयोगी बनाने के लिए एक सूक्ष्म रूप से समझाया है। उनकी ‘चाणक्य नीति’ में छिपी गहरी सिद्धांतों ने सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य को शत्रुओं को दोस्त में कैसे परिवर्तित करने का राज बताया।
अद्वितीय उपाय -यस्य चाप्रियमिच्छेत तस्य ब्रूधात् सदा प्रियम्। व्याधो मृगवधं कर्तुं गीतं गायति सुस्वरम्।।
आचार्य चाणक्य का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति आपका शत्रु बनना चाहता है, तो उससे दुश्मनी नहीं, बल्कि दोस्ती की राह में प्रवृत्ति करनी चाहिए। उनसे प्रिय और समर्थनीय वातचीत करने से, आप उन्हें अपने दोस्त के रूप में जीत सकते हैं। चाणक्य ने यह भी बताया है कि शत्रु की बुराई को दूर करने के लिए हमें उनके साथ अच्छे व्यवहार करना चाहिए और अपनी अद्भुतता और नैतिकता के माध्यम से उन्हें अपना दोस्त बना लेना चाहिए।
सूक्ष्म वचन – “नहीं बोलने चाहिए कड़वे वचन”
चाणक्य की नीति में यह भी स्पष्ट है कि जब हमें किसी से शत्रुता महसूस होती है, हमें उनसे बुरे शब्दों का प्रयोग नहीं, बल्कि उदार और विनम्र वचनों का परिचय करना चाहिए। इससे हम उन्हें अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं और उन्हें अपने साथ सांझा करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।कभी भी अपने शत्रु को ठेस पहुंचाने के लिए हमें कभी भी बुरे शब्द नहीं बोलने चाहिए। इससे वे हमें समझने लगेंगे और हमारी तरफ आकर्षित हो सकते हैं।
शत्रुओं को अपने अधीन करें
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में यह बताया है कि जो लोग आपका बुरा सोचते हैं और आपसे कठोर व्यवहार करते हैं, उनसे दुश्मनी बनाने की बजाय, हमें उनको अपने अधीन करने का प्रयास करना चाहिए। अगर हम उनसे मीठे वचनों का उपयोग करते हैं और उन्हें सहयोगी बनाते हैं, तो हम उन्हें अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं। चाणक्य नीति की इन बहुमूल्य सिद्धांतों को अपनाकर हम शत्रुओं को अपने साथ जोड़ सकते हैं और सफलता की ओर बढ़ सकते हैं