शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित माना जाता है। इस दिन शनिदेव की पूजा अर्चना की जाती है। शनिदेव की पूजा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते है ऐसा कहा जाता है कि शनिदेव की सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से जातकों को धन की कमी भी नहीं होती है। वहीं जिन लोगों पर शनि की साढ़े साती होती है वो भी शनिदेव की पूजा करने से सही हो जाती है।
इसके अलावा शनिदोष से मुक्ति पाने के लिए भी भक्त को मूल नक्षत्रयुक्त शनिवार से शुरू करके सात शनिवार तक शनिदेव की पूजा और उनका व्रत करना चाहिए। कहा जाता है शनिदेव की पूर्ण नियमानुसार पूजा और व्रत करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा होती है। भक्तों के सभी कष्ट और रोग दूर हो जाते हैं। हालांकि भक्तों को शनिदेव के क्रोध से बचना बेहद जरूरी होता है, नहीं तो मनुष्य पर कई तरह के दोष लग जाते हैं।
जैसा की आप सभी जानते है घर पर बने पूजा स्थल में कई देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी होती है। लेकिन ऐसे में कुछ देवी देवता ऐसे होते है जिनकी मूर्ति और तस्वीर मंदिर में रखना मना होती है। जी हां, इन्ही में से एक है शनिदेव। शनिदेव की मूर्ति घर के मंदिर में रखना वर्जित माना गया है। वहीं इनकी पूजा घर के बाहर किसी मंदिर में ही करने का विधान बताया गया है।
शास्त्रों के अनुसार, शनिदेव को श्राप मिला हुआ है कि वह जिस भी किसी को देखेंगे उसका अनिष्ट हो जाएगा। इसलिए उनकी दृष्टि से बचने के लिए घर पर उनकी मूर्ति नहीं लगानी चाहिए। लेकिन यदि आप घर में शनि देव की पूजा करना चाहते हैं तो उनका मन में स्मरण करें। इससे भी शनि प्रसन्न होते हैं।
घर पर नहीं रखनी चाहिए मूर्तियां –
– राहु-केतु की मूर्ति
– नटराज की मूर्ति
– भैरव की मूर्ति