बहुराष्ट्रीय ई-कॉमर्स कंपनियों की मनमानी से छोटे उद्यमियों एवं विक्रेताओं को बचाने का जरिया : ONDC

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ग्लोबल फोरम फॉर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट और भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने सिडबी एवं ONDC यानी ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स के संयुक्त तत्वाधान में कार्यशाला का आयोजन सूक्ष्म मध्यम एवं लघु उद्योगपतियों के साथ ही व्यापारियों के लिए विशेष रूप से किया l

ONDC इंडिया की वाइस प्रेसिडेंट दिल्ली से विशेष रूप से आयोजन हेतु पधारी अदिति सिंघा ने अपने उद्बोधन में कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने लक्ष्य निर्धारित किया है कि भारत की इकोनॉमी जल्द ही 5 ट्रिलियन डॉलर की होने वाली है और विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है l इस उद्देश्य की प्राप्ति में ई-कॉमर्स का महत्व सर्वाधिक होने वाला है l इंडस्ट्री 4.0 यूरोप अमेरिका में जितनी तेजी से आगे बढ़ा है इंडस्ट्री 5.0 भारत में पूरे विश्व में सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है l 2 घंटे के अपने पूरे प्रेजेंटेशन में आदितीजी ने उपस्थित श्रोताओं से बायर और सेलर रजिस्ट्रेशन उनके मोबाइल पर ही 1 मिनट के भीतर ही करा दिए l उन्होंने कहा कि फ्लिपकार्ट और अमेजन ने पूरे देश के उद्योगपतियों और व्यापारियों को अपने चंगुल में फंसा लिया है l यह भी सत्य है कि दोनों ही कंपनियां विदेशी है जो भारत के उद्योग और व्यापार पर कब्जा करने की मानसिकता से कार्य कर रही है l चीन विश्व की दूसरी अर्थव्यवस्था ई-कॉमर्स के दम पर अपनी वेबसाइट alibaba.com के द्वारा बना है l इसी तथ्य को जानकर भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय ने ONDC की स्थापना की और एक ऐसा प्लेटफॉर्म व्यापारी एवं उद्योगपतियों के लिए बनाया जो अपने देश के उत्पादों को देश के भीतर वर्तमान में एवं कुछ समय बाद विदेश में भी बिक्री के लिए सुविधा प्रदान करेगा l यह पूरी तरह से स्वदेशी निर्मित प्लेटफार्म है जो भारत के सभी राज्यों को आपस में जोड़ता है l इसमें मैन्युफैक्चरिंग एवं सर्विस दोनों इंडस्ट्री को कारोबार की सुविधा प्रदान की गई है lसाथ ही कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश के हर कोने में उत्पादों के निर्बाध रूप से डिलीवरी पहुंचने की जवाबदारी भी दी गई है lसाथ ही यूपीआई तथा अन्य माध्यम से भारतीय रूपयों में ट्रांजैक्शन की सुविधा हैl कुल मिलाकर एक छोटे व्यापारी हैं उद्योगपतियों के लिए अपने व्यवसाय को ऑनलाइन या डिजिटल ले जाने का सबसे सरल और किफायती माध्यम है l
ONDC ई-कॉमर्स में एकाधिकार के बजाय प्रतिस्पर्धा के आधार पर विक्रेताओं के व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए बनाया है,लोकल बिज़नेस को दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनियों से कंपटीशन में मदद मिलती है. लोकल फार वोकल , मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, सभी में ONDC की मुख्य भूमिका रहेगी l रेस्टोरेंट बिना किसी थर्ड पार्टी के सीधे कस्टमर को अपना खाना बेच सकते हैं.खरीददार सीधे सामान खरीद सकते हैं.सामान 30 फ़ीसदी कम दाम में खरीदा जा सकता है.उपभोक्ता विभिन्न प्रकार के विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं तक पहुंच सकते हैं.

बिक्रेता सीधे अपने सामान को बेचने के लिए लिस्ट कर सकते हैं l
कार्यक्रम में एमएसएमई से तीन असिस्टेंट डायरेक्टर श्री गौरव गोयल, श्रीमती अनुज्ञा हंडू और श्री तिरके जी उपस्थित रहे l सिडबी की ओर से अमित जी सेठी ने घोषणा की GFID के साथ मिलकर एक बड़े स्तर पर लघु उद्योग एवं छोटे व्यापारियों के लिए लोन मेला आयोजन करने जा रही है l जिसमें राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा लोन बांटने की प्लानिंग है l एमएसएमई की ओर से प्रेजेंटेशन देते हुए अनुज्ञा जी ने केंद्र सरकार की सभी योजनाएं जो छोटे उद्योगों के लिए वर्तमान में जारी है उनकी जानकारी दी एवं विभिन्न प्रकार की सब्सिडी को समझाया और उद्यम रजिस्ट्रेशन करना सिखाए l
200 से अधिक उद्योगपति और व्यापारियों ने चार घंटे चले इस सेशन में अनेको नयी जानकारी हासिल की l
अदिति जी ने बताया कि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष जी गोयल एवं सूचना मंत्री राजीव जी चंद्रशेखर ने मिलकर इस पोर्टल को लांच किया है l इस वेबसाइट से ई-कॉमर्स को रोज अपडेट होती तकनीक ने शहर के दायरे से बाहर निकालकर गांवों तक सुलभ कर दिया है। अब सुदूर गांव में बैठा एक व्यक्ति भी घर बैठे एक बटन क्लिक करने पर आसानी से वस्तुओं और सेवाओं का लाभ ले सकता है। लेकिन इसकी खासियत यह है कि लोकल बिजनेस को खत्म होने से बचाना और गिनी-चुनी विदेशी कंपनियों का ई-कॉमर्स बाजार पर दबदबा बढ़ने से रोकना lसोशल मीडिया पर इन दिनों ओएनडीसी खासा चर्चा में है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों की मानें तो इस सरकारी प्लेटफॉर्म पर बाजार में बिक रहा 283 रुपये का बर्गर महज 110 रुपये में ही उपलब्ध है। वेज स्टीम्ड मोमोज के लिए जहां दूसरी ई-कॉमर्स कंपनियों पर 170 रुपये तक खर्च करना पड़ता है वहीं ओएनडीसी पर यह महज 85 रुपये में ही उपलब्ध है। इस प्लेटफॉर्म को ग्राहकों से भारी कमीशन वसूल रहीं ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए चुनौती माना जाने लगा है। एक दशक से अधिक समय से भारत सहित दुनिया भर में ई-कॉमर्स (ऑनलाइन व्यवसाय) में भारी वृद्धि हुई है। आंकड़ों की मानें तो देश में कुल खुदरा व्यापार का लगभग 6.5 प्रतिशत आज ई-कॉमर्स ई-कॉमर्स के जरिएहोता है।ई-कॉमर्स का दायरा बढ़ने के साथ इससे जुड़ी कंपनियों का दबदबा बढ़ा lई-कॉमर्स कंपनियां मोटा कमीशन वसूलते हैं और पारंपरिक व्यवसाय को खत्म करती जा रही है, साथ ही डेटा पर अपने अधिपत्य के कारण विभिन्न विक्रेताओं के बीच भेदभाव करती हैं, जिससे छोटे विक्रेताओं को खासा नुकसान झेलना पड़ता है।ये छोटे पारंपरिक दुकानदारों, ट्रैवल एजेंटों और विक्रेताओं बाजार से बाहर रखने के लिए हर तिकड़म लगाते हैं। एग्रीगेटर के रूप में काम करने वाली ई-कॉमर्स कंपनियां छोटे वेंडरों और गरीब कामगारों की आमदनी के एक बड़े हिस्से को हड़प रही हैं। क्या हम इन ई-कॉमर्स दिग्गजों ऐसा करने से रोकने का कोई उपाय है? यहीं शुरू होती है सरकार की ओर से शुरू किए गए ओएनडीसी जैसे प्लेटफॉर्म की भूमिका। यह कंपनी अधिनियम की धारा आठ के तहत पंजीकृत एक कंपनी है lONDC प्ले्टफार्म पर ई-कॉमर्स कंपनियां लघु उद्योग एवं व्यापारी डाटा पर अपने अधिपत्य और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों का इस्तेमाल पर विक्रेताओं या खरीदार के बीच भेदभाव नहीं कर सकते। अभी तक सामान्य ई-कॉमर्स में विक्रेता और सेवा प्रदाताओं को प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन कराना होता था, इसलिए वे उन प्लेटफार्मों पर निर्भर होते हैं। ऐसे में उपभोक्ता प्लेटफॉर्म पर केवल उन्हीं विक्रेताओं को देख पाते हैं, जो उस पर पंजीकृत होते हैं। ओएनडीसी ऐसी प्रणाली है, जिसमें विभिन्न प्लेटफॉर्मों को ही पंजीकरण की सुविधा प्रदान की जाती है। लेकिन ओएनडीसी की शर्त है कि इनमें से किसी भी प्लेटफॉर्म पर जिन वेंडरों या सेवा प्रदाताओं ने खुद को पंजीकृत कराया है, उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली वस्तुएं और सेवाएं ओएनडीसी पर आने वाले सभी ग्राहकों को दिखाई देंगी। यानी ओएनडीसी को पारदर्शी प्रणाली के रूप में विकसित करने की कोशिश की गई है।
जीआईएस के आधार पर उपभोक्ताओं को सेवाएं मुहैया कराती है यह प्रणाली जियोग्राफिक इनफॉरमेशन सिस्टम (जीआईएस) यानी भौगोलिक सूचना तंत्र के जरिए काम करती है और लाखों विक्रेताओं व करोड़ों उपभोक्ताओं को उनके वास्तविक लोकेशन के आधार पर सुविधाएं मुहैया कराती है। उदाहरण के लिए यदि कोई उपभोक्ता घर बैठे किसी रेस्तरां से खाना या किसी दुकान से किराने का सामान मंगवाना चाहता है, तो ओएनडीसी प्रणाली में उसे आसपास के सभी रेस्तरां या किराना दुकानों पर उपलब्ध विकल्प दिखेंगे। ये सभी विक्रेता और सेवा प्रदाता विभिन्न प्लेटफार्मों पर पंजीकृत होने के बावजूद ओएनडीसी पर संभावित खरीदारों को दिखाई देंगे। हालांकि जिन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर वेंडर पंजीकृत हैं, वे वेंडर से अपने समझौते के अनुसार शुल्क ले सकते हैं, लेकिन व्यवसाय लाने के लिए प्लेटफार्मों के बीच प्रतिस्पर्धा से उनका कमीशन अपने आप कम हो सकता है। हर प्लेटफॉर्म ज्यादा से ज्यादा व्यवसाय के लिए अपना कमीशन कम रखना चाहेगा। इस प्रकार ओएनडीसी ई-कॉमर्स को प्लेटफार्मों के एकाधिकार से मुक्त करती है और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करती है।ओएनडीसी पर बिना आक्रामक विज्ञापन के अपनी पहुंच बढ़ा सकते हैं स्थानीय कारोबारी ओएनडीसी को हाल ही में पेश किया गया है, इसलिए इस प्रणाली में बहुत कम व्यवसाय हो रहा है, लेकिन उम्मीद है कि यह निकट भविष्य में इसका विस्तार तेजी से होगा। इससे छोटे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म विज्ञापन पर भारी खर्च किए बिना उपभोक्ताओं तक पहुंच सकते हैं। ओएनडीसी प्रोटोकॉल विभिन्न विक्रेताओं के बीच अंतर नहीं करता। ओएनडीसी प्रणाली के साथ-साथ ई-कॉमर्स के सभी फायदे तो बदस्तूर मिलेंगे ही, इसकी खामियों से भी बचा जा सकेगा। आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में आज जितने भी ऑनलाइन लेन-देन होते हैं, उनमें से 40 फीसदी से ज्यादा भारत में हो रहे हैं। इस तरह ओएनडीसी जैसे प्लेफॉर्म न केवल उपभोक्ताओं और विक्रेताओं के शोषण को रोकने में कारगर हैं, बल्कि स्थानीय व्यवसायों को सुविधा प्रदान करके सकल घरेलू उत्पाद और रोजगार में भारी वृद्धि करने में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं।

खुदरा विक्रेताओं को बड़ी कंपनियों के साथ काम करने के अवसर भी देगा l यह प्लेटफॉर्म छोटे खुदरा विक्रेताओं को आधुनिक तकनीक के माध्यम से मदद करेगा। यह सुविधा छोटे खुदरा विक्रेताओं को बड़ी कंपनियों के साथ काम करने के अवसर भी मुहैया कराएगा। भारत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण में दुनिया का नेतृत्व कर रहा है। ओएनडीसी दरअसल यूपीआई भुगतान सुविधा की तरह ई-कॉमर्स क्षेत्र के लिए एक सुविधा है। यह खरीदारों और विक्रेताओं को एक खुले नेटवर्क के जरिये डिजिटल रूप से किसी भी एप या मंच पर लेनदेन करने में सक्षम बनाएगा। ओएनडीसी की टीम ई-कॉमर्स को लोकतांत्रिक बनाने के लिए काम कर रही है ताकि पूरे देश में लाखों छोटे-छोटे स्टोर और छोटे खुदरा विक्रेता बंद न हो जाएं, जैसा हमने पश्चिमी देशों में देखा l

4:30 घंटे चले इस कार्यशाला में श्रोताओं ने शुरू से आखरी तक सभी संबोधन पिंड्राप साइलेंट में सुनी एवं जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया l मुख्य अतिथि के रूप में कनफेडरेशन आफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमेश जी गुप्ता थे l विशेष अतिथि के रूप में एमएसएमई के असिस्टेंट डायरेक्टर श्री गौरव जी गोयल, श्रीमती अनुज्ञा जी हंडू एवं श्री तिर्के जी रहे l सिडबी के ब्रांच मैनेजर अमित जी सेठी वक्ता के रूप में संबोधन दिया एवं सिडबी लोन डिवीजन के प्रमुख पुष्पेंद्र जी तिवारी भी मौजूद रहे l स्वागत भाषण भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं GFID के अध्यक्ष दीपक भंडारी एवं आभार संस्था के सचिव आनंद रैकवार ने माना l

कार्यक्रम संयोजक के रूप में अलंकार भार्गव, आदित्य रघुवंशी ,दीपक शाह रहे l जिनका साथ दिया अंकित कुंभकार, अभिषेक सिंह, हुसैन राजा, प्रशांत तिवारी विक्रम वडनेरे, अमित भट्ट, शुभम दुबे, सिद्धार्थ रघुवंशी एवं गौरव भूतड़ा ने l उद्योग व्यापार मंडल से राजेश अग्रवाल, NGO महासंघ से शशि सातपुते, रोटरी क्लब से सरजू पटेल चंद्रशेखर जैन मुख्य रूप से उपस्थित रहे l