Ujjain: मध्य प्रदेश के उज्जैन में काल भैरव मंदिर से डोल ग्यारस पर सोमवार को शाही ठाठबाट के साथ भगवान काल भैरव की सवारी निकली। सेनापति काल भैरव चांदी की पालकी में सज धजकर नगर भ्रमण के लिए निकले। सवारी से पूर्व बाबा का आकर्षक श्रंगार किया गया वह परंपरा अनुसार सिंधिया परिवार की ओर से पगड़ी धारण कराई गई थी।
सवारी निकलने के पहले कलेक्टर ने बाबा काल भैरव की प्रतिमा का पूजन आरती कर सवारी को आगे बढ़ाया। वही डाल गया था उसकी सबसे पर काल भैरव मंदिर में दिल्ली से आए एक भक्त के द्वारा विभिन्न प्रकार की देसी विदेशी फलों से साज सजावट कराई गई।
शाम 4 बजे सवारी भ्रमण के लिए निकली। सवारी भैरवगढ़ का भ्रमण करते हुए सिद्धवट्ट पहुंची। सवारी में भगवान काल भैरव की पालकी, ढोल, बाजे, ध्वज, घोड़े, बग्घी के साथ झांकियां शामिल भी दिखी। काल भैरव के पुजारी पंडित सदाशिव चतुर्वेदी ने बताया कि मंदिर से परंपरा अनुसार ढोल ग्यारस पर काल भैरव की सवारी निकलती है। यह सवारी वर्ष में दो बार नगर भ्रमण पर निकलती है। हर साल डोल ग्यारस और भैरव अष्टमी के अवसर पर ग्वालियर के सिंधिया घराने से पगड़ी मंदिर लाई जाती है।
इसी प्रकार कालभैरव साल में दो बार यानी डोल ग्यारस और भैरव अष्टमी पर प्रजा का हाल-चाल जानने के लिए नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। भगवान काल भैरव का दर्शन करने के लिए देशभर से श्रद्धालु आते हैं। साथ ही साथ भगवान काल भैरव का मदिरापान भी कराया जाता है।