राजकुमार जैन और अंजना जैन के लेख और शोध को इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल में किया प्रदर्शित

bhawna_ghamasan
Published:

दुनियाभर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) को लेकर विगत कुछ वर्षों से वैश्विक स्तर पर काफी चर्चाएं हो रही है। हमारा देश भी इससे अछूता नहीं है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के मानवता के हित में उपयोग और दुरुपयोग के बारे में भी बहस छिड़ी हुई है कि आने वाले समय में क्या एआई मनुष्य पर हावी हो जाएगा और किस तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। आम जनता विशेषकर बुजुर्ग लोग इसके बारे में बहुत कुछ जानना चाहते हैं लेकिन बड़ा प्रश्न यह है कि कैसे जानें। कई लोगों ने इस बारे में मुझसे बात की और मुझे अहसास हुआ कि गैर तकनीकी और हिंदी भाषी लोगों के लिए एआई के बारे में जानने के लिए कोई साधन मौजूद नहीं है।

राजकुमार जैन और अंजना जैन के लेख और शोध को इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल में किया प्रदर्शित

इसी को ध्यान में रखकर करीब दो साल पहले से एआई पर शोध करने के साथ ही आम आदमी के लिए समझने में आसान शब्दावली में मैने क्लिष्ठ घोर तकनीकी क्षणों से परहेज रखते हुए सरल हिंदी कंटेंट तैयार करना शुरू किया। और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के मायने से शुरुआत कर अब तक 45 से ज्यादा लेख हिंदी भाषा में लिख चुका हूं। यह कहना है कंप्यूटर इंजीनियर राजकुमार जैन का। हाल ही में उनके एआई पर हिंदी में प्रकाशित हुए लेखों को इंग्लैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल में टेक्नोलॉजी विषय पर लगाई गई पोस्टर प्रदर्शिनी में प्रदर्शित करने हेतु चयनित किया गया।

राजकुमार जैन और अंजना जैन के लेख और शोध को इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल में किया प्रदर्शित

उन्होंने बताया कि आईआईटी कानपुर ने भी उनके द्वारा लिखे गए कंटेंट की गुणवत्ता से प्रभावित होकर उनके कुछ लेखों को संस्थान की राजभाषा पत्रिका “अंतस” में प्रकाशित किया गया है। उनके साथ कम्युनिकेशन क्षेत्र के शीर्ष अंतरराष्ट्रीय संगठन आईईईई (इंस्टीट्यूट फॉर इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स) की वरिष्ठ मेंबर डॉ. अंजना जैन द्वारा 5जी टेक्नोलॉजी पर किए गए शोध कार्यों को प्रदर्शनी में पोस्टर के माध्यम से चस्पा किया गया। डॉ. अंजना जैन प्रदेश के अग्रणी प्रौद्योगिकी संस्थान एसजीएसआईटीएस के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्यूनिकेशन विभाग की विभागाध्यक्ष है। इनके कई शोध विभिन्न जनरलों में प्रकाशित हो चुके हैं।इस कार्यक्रम में कई देशों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था, भारत से इन दोनों का चयन हुआ था।

राजकुमार जैन और अंजना जैन के लेख और शोध को इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल में किया प्रदर्शित