इंदौर. हमारी बदलती लाइफस्टाइल की वजह से बहुत ज्यादा बदलाव आए हैं हमारे खाने में आजकल फास्ट फूड ने जगह बना ली है इसी के साथ कम व्यायाम और अन्य कारणों के चलते मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर जैसी समस्या बहुत ज्यादा कॉमन हो गई है। वही तंबाकू और अन्य चीजों का सेवन बढ़ गया है यह सारी चीजें ब्रेन स्ट्रोक के साथ दिमाग से संबंधित समस्या को भी बढ़ावा देती है। आमतौर पर हमने देखा है कि जो ज्यादा हैवी स्मोकर होते हैं उनकी दिमाग की नसों में ब्लॉकेज और फटने की समस्या कॉमन रूप से सामने आती है। यह बात डॉक्टर स्वाति चिंचुरे ने अपने साक्षात्कार के दौरान कहीं वह शहर के प्रतिष्ठित जूपिटर हॉस्पिटल में कंसलटेंट इन न्यूरोइंटरवेंशन के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं।
सवाल. दिमाग की नसों में क्लाॅट और फटने की समस्या किस वजह से सामने आती है
जवाब. मुझे इस फील्ड में लगभग 20 साल का एक्सपीरियंस है अगर बात लकवे, ब्रेन स्ट्रोक और दिमाग की नसों में ब्लॉकेज की करी जाए तो इसके केस में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। जब 2007-8 में मैने इस फील्ड में ट्रेनिंग ली थी उस दौरान इतनी समस्या नहीं हुआ करती थी। पहले यह समस्या लगभग 60 की उम्र के बाद देखने को सामने आती थी लेकिन आजकल 50% पेशेंट यंग जनरेशन से होते हैं। इन सबका कारण स्मोकिंग, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में बढ़ोतरी और अन्य कारण है। इन सब बीमारियों से बचने के लिए हमें हमारे खान पान में बदलाव के साथ साथ मेडिकेशन योग प्राणायाम जैसी चीजों को करना जरूरी है साथ ही हमें स्ट्रेस लेवल को कम करना होगा। बात अगर लकवे की कि जाए तो इसके स्ट्रोक में गर्दन और ब्रेन की नस में क्लाॅट फस जाते हैं जिस वजह से ब्रेन को ब्लड की सप्लाई कम हो जाती है और ब्रेन के उस हिस्से में ब्लड की सप्लाई नहीं होने के चलते वह काम करना बंद कर देता है। जिस वजह से पेशेंट मैं कई प्रकार की समस्या देखी जाती है जिसमें हाथ नहीं उठना, हाथ पाओं का काम नहीं करना, शरीर का आधा हिस्सा काम नहीं करना, दिखना बंद हो जाना, मुंह में टेढ़ापन और अन्य प्रकार की समस्या सामने आती है।
सवाल. इंट्राक्रेनियल ब्लीडिंग क्या है इसके होने के मुख्य कारण क्या है
जवाब. हम सिर से संबंधित इंट्राक्रेनियल ब्लीडिंग के केस भी डील करते हैं इसमें आमतौर पर दिमाग के अंदर मौजूद नस फट जाती है। यह आमतौर पर दिमाग की नसों के कमजोर होने पर यह समस्या सामने आती है। जिसे मेडिकल भाषा में ब्रेन एन्यूरिज्म कहा जाता है। इसके कारणों की अगर बात की जाए तो हाई ब्लड प्रेशर और किसी भी फॉर्म में तंबाकू का सेवन इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होता है जिसकी वजह से कई बार नसें कमजोर हो जाती और उस भाग में गुब्बारा बन जाता है। और आगे चलकर नस फट जाती है। इसके आंकड़ों की अगर बात की जाए तो इसमें भी बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है पहले यह समस्या लगभग 60 साल की उम्र में देखने को सामने आती थी वही आजकल यंग जनरेशन में इसके केस देखने को मिलते हैं। जीवन शैली के साथ-साथ कई बार यह बीमारी जेनेटिक रूप से भी देखने को सामने आती है।
सवाल. क्या है न्यूरो इंटरवेंशन सर्जरी, यह कैसे फायदेमंद है
जवाब. कई बार पैरालिसिस और अन्य कारणों से दिमाग की नसों में ब्लॉकेज और क्षतिग्रस्त हो जाती है। पुरानी पद्धति में न्यूरो सर्जन इसके लिए ओपन सर्जरी करते हैं पर न्यूरो इंटरवेंशन में नए तरीके से इसका ट्रीटमेंट किया जाता है। इसमें पैरों में एक सूई लगाई जाती है जिसमे पैरों की नसों के रास्ते से होते हुए दिमाग तक एक तार को पहुंचाया जाता है इसके बाद जहां पर नस क्षतिग्रस्त होती है या ब्लॉकेज पाया जाता है उसे नस के रास्ते से ही सील कर दिया जाता है। इस पद्धति में सिर को खोलने की जरूरत नहीं होती है ना ही इसमें टांके लगाने की जरूरत होती है। इस पद्धति से ट्रीटमेंट करने के बाद पेशेंट 2 से 3 दिन में ठीक होकर अपने घर चले जाते हैं वहीं। ओपन सर्जरी में इंफेक्शन, ब्लड लॉस जैसी समस्या सामने आती है लेकिन अनफिट पेशेंट में यह सर्जरी बहुत ज्यादा फायदेमंद होती है।
सवाल. आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है
जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज नांदेड़ से पूरी की इसके बाद मैंने डीएमआरडी की पढ़ाई इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज नागपुर से पुरी की वही रेडियोलॉजी में डीएनबी यशोदा हॉस्पिटल हैदराबाद से कंप्लीट की। इसी के साथ मैंने डीएम न्यूरो इंटरवेंशन की पढ़ाई श्री चित्रा इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज त्रिवेंद्रम से पूरा किया। अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद मैंने कई फैलोशिप प्रोग्राम और ट्रेनिंग में हिस्सा लिया है इसी के साथ मैंने देश के कई प्रतिष्ठित हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दी है। वर्तमान में मैं शहर के तीन प्रतिष्ठित हॉस्पिटल विशेष जुपिटर, मेदांता और डीएनएस हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रही हूं।