आषाढ़ जैसा मौसम का हाल, रोज चल रही धूल भरी आंधियां

Suruchi
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नितिनमोहन शर्मा

बैशाख…पूरी तरह आषाढ़ हो चला हैं। वो ही आषाढ़…जो चैत्र, बैशाख और ज्येष्ठ मास की तपन के बाद रिमझिम की आस लेकर आता हैं। ‘कुलावन’ हवाये मानसून के आगमन का सन्देश लेकर आती हैं। तेज रफ़्तार के संग संग बादलों के गुच्छे के गुच्छे भी ले आती हैं। उम्मीद बंधती है झुलसती, तपती गर्मी से बेजार जनजीवन को कि बस अब झमझमाझम का शुभारंभ होने वाला हैं। धूल भरी आंधिया उम्मीद जगा देती है कि बूंदों की बारात बस यही कही है और बस घर आँगन, मन आँगन में उतरने ही वाली हैं।

हूबहू ये ही हाल इन दिनों बैशाख का हो चला हैं। चलना चाहिये गर्म हवाएं और लू के थपेड़े लेकिन गुदगुदा रही शीतल बयारे। आसमान पर सूरज के तेवर की जगह बादलों का डेरा है और रोज दोपहर बाद ये बादल सूरज के समक्ष आँखे तरेर रहे हैं। दिन ढलते ढलते घटाटोप भी छा रही हैं। दामिनी की दमक के संग संग रात गरज रही है और बरस भी रही हैं। मौसम का ये हाल बरसो बरस में किसी ने नही देखा। गर्मी के करीब दो माह होने को आये लेकिन पारा 40 डिग्री के पार तो दूर, 40 डिग्री तक भी नही पहुँच पाया हैं। मौसम का मिजाज पारे को इशारा भी कर रहा है कि कितना उछलो-कूदो कम से कम बैशाख में तो तुमको तुम्हारी मन की करने नही दूंगा।

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मौसम के जानकारों ने भी इसकी पुष्टि कर दी है कि अप्रैल भी ऐसे ही जाएगा, जैसे मार्च रवाना हुआ। सूरज की तपन-तेवर और अनमने से बेठे पारे को मई यानी ज्येष्ठ मास से आखरी उम्मीद हैं। पट डर भी सता रहा है कि कई मई भी ऐसे न बीत जाए? मौसम का हाल इन दिनों मालवा में अजब गजब बना हुआ हैं। गर्मी के मौसम के 57 दिन यानी दो माह पूरे होने आए लेकिन दिन का तापमान 40 डिग्री से नीचे ही बना हुआ हैं। इस दौरान महज 3 बार ये 40 डिग्री तक जाता हुआ दिखा लेकिन फिर 36-37 डिग्री के बीच झूलता रहा। रातों ने जरूर गर्मी का अहसास कराया लेकिन दिन तो दगाबाज़ निकल गया। वो रोज “भुवन भास्कर” को चिड़ा रहा हैं।

भोर तो “दिनकर” की दमक के साथ ही हो रही हैं। दोपहर तक आसमान में दबदबा भी सूरज का बना हुआ है। लगता है आज आसमान में सूरज की ही चलना है लेकिन दोपहर बाद रोज वो मौसम के बदले मिजाज से बाजी हार रहा हैं। बादल आकर उसे घेर लेते हैं। धूल भरी आंधी उसके सामने झीना पट डाल देती है और दिन ढलते ढलते आख़िर सूरज हार मान लेता हैं। रात में हवाओं का मिज़ाज ऐसा हो चला है कि जैसे मानसून पूर्व की कुलावन हवाएं अब से ही आ गई हो। बुधवार को तो वे 30 से 40 किमी प्रति घण्टे की रफ़्तार से दौड़ी। रफ्तार के इस वेग के संग संग बादल भी वे लेकर आ रही हैं और जब पसीना छूटना चाहिए, तब बदन पर बूंदे बरस रही हैं। बादलों की गड़गड़ाहट के संग चंचल चपला सी बिजली भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं।

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कहने को तो मौसम का ये हाल बड़ा ही सुहाना है। गर्मी की जगह शीतलता। लेकिन कुदरत का ये रंग मानसून के लिए शुभ संकेत नही देता। मौसम के जानकारों का सदा से कहना है- जितना तपेगा-उतना बरसेगा। अब तप तो रहा नही तो क्या बरसेगा भी नही? निःसर्ग तो फिलहाल ये ही सन्देश दे रही है कि ये सब मेरे संग आप सबके निर्मम व्यवहार का नतीजा हैं कि गर्मी के मौसम में बादल, बिजली, हवा,पानी क़ायनात में घूम-डोल रहे हैं। वो भी बेख़ौफ़ होकर। मौसम महकमे ने मौसम के इस मिज़ाज के कायम रहने की ही घोषणा की हैं। उसके मुताबिक प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ ने दस्तक दी हैं। इसका असर फिलहाल रहेगा। इसके अलावा राजस्थान में चक्रवात सक्रिय है जो मालवा के आंगन में रोज राजस्थान से बादलों के गुच्छे रवाना करता रहेगा। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी ने भी अपने हिस्से की नमी को अभी से रवाना कर दिया जिसके कारण कही हल्की, कही तेज बारिश के आसार बने रहेंगे।