चुनावी साल होने के कारण सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों के प्रचार प्रसार का महत्वपूर्ण बीड़ा संभाले मध्य प्रदेश के एक वरिष्ठ आय ए एस अफसर संगीत के प्रति अपनी रुचि के कारण अच्छे परिणाम दे रहे हैं। मामला चाहे महाकाल लोक कार्रीडोर के लोकार्पण अवसर का हो या लाड़ली बहना योजना का। दोनों ही अवसरों पर इस वरिष्ठ आय ए एस अफसर की संगीत के प्रति गहरी समझ के कारण बेहद प्रिय गीत संगीत से सजे ऑडियो और वीडियो विजुअल बनाए गए। यह न केवल सुनने में मधुर थे, अपितु इसका दृश्यांकन भी बेहद उम्दा था। महाकाल कारीडोर लोकार्पण से संबंधित विजुअल में भी भस्म आरती और उसमें फ़िल्माए गए एक भगवा वेश में एक बच्चे का दृश्यांकन इन्हीं अफसर के विजन के कारण आकर्षक बन पड़ा था। लाड़ली बहना योजना का गीत संगीत भी इन दिनों ख़ूब सिर चढ़कर बोल रहा है। साहित्य और संगीत में गहरी समझ रखने वाले इस वरिष्ठ आय ए एस अफसर इन कार्यों में पूरी रुचि लेकर भी काम कर रहे हैं।
आगाज अच्छा है तो अंजाम भी अच्छा होगा
इंदौर नगर निगम कमिश्नर के पद पर आई हर्षिता सिंह ने शुरुआत में आते ही अपने इरादे अफसरों को बता दिए हैं। जो भी काम करो उसकी सही जानकारी देना। झूठ मत बोलना, जितना काम बताया है। उतना काम पूरा हो जाना चाहिए। बस इसी वाक्य सूत्र के हिसाब से हर्षिता सिंह इंदौर में अपने काम के इरादे बता चुकी है। जहां भी जा रही है, वहां पर अफसरों की जानकारी के आधार पर बात नहीं कर रही बल्कि जो दिख रहा है। उसको लेकर कई सवाल कर रही हैं। बेहद ईमानदार अफसरों में शूमार हर्षिता सिंह के बारे में कहा जाता है। उनको झूठ पसंद नहीं है, और वे लगातार झूठ बोलने वाले अफसरों को हटाने में देर नहीं करती है। अभी तो यह हालात है कि जो अच्छे अफसर है। वह खुश है कि हम बिना वजह के नाराजगी का शिकार नहीं होंगे। वैसे नई कमिश्नर जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लेकर काम करना जानती है।
बस जा रहे हैं जगह की तलाश है
इंदौर के अपर कलेक्टर अभय बेडेकर और अजयदेव शर्मा का तबादला तो लंबे समय से पैंडिंग है, लेकिन अब जाने का समय आ गया है, क्योंकि विधानसभा चुनाव भी नजदीक है। ऐसे में वे अपनी नई जगह की तलाश में हैं। ताकि नया ठिकाना पुराने ठिकाने से बेहतर हो।
आखिरकर कलेक्टरी मिल गई
उज्जैन में बेहतर काम करने के बावजूद कलेक्टर आशीष सिंह को इंदौर कलेक्टर नहीं बनाया इस बात का मलाल उनके कई शुभचिंतकों को है। रोड विकास निगम की जवाबदारी मिलने के बाद कहा जा रहा था कि वह अपने काम में लग गए थे। अधूरी सड़कों का काम पूरा करने में लग गए थे। केंद्र सरकार से सड़कों के लिए अलग से पैसे लाने की योजना भी बनाई थी। इसी बीच भोपाल कलेक्टर का आदेश चार दिन में ही बदलना पड़ा और तत्काल आशीष सिंह को कलेक्टरी भोपाल की मिल गई। वैसे इंदौर के बाद सबसे बड़ा जिला भोपाल ही है। अब वक्त बताएगा कि आशीष सिंह भोपाल से इंदौर की कलेक्टर की कुर्सी पर नई सरकार आने के बाद कब तक आ पाएंगे।