नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राज्यसभा में संबोधन दे रहे हैं। संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि पूरी दुनिया एक बड़े संकट से जूझ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अच्छा होता विपक्ष राष्ट्रपति का भाषण सुनता, लेकिन उनके भाषण का प्रभाव इतना है कि विपक्ष बिना कुछ सुने भी इतना कुछ उनके भाषण पर बोल पाया है।
राज्यसभा में अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि देश अब आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, ऐसे में हर किसी का ध्यान देश की ओर कुछ करने के लिए होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संकट के वक्त में दुनिया की नजर भारत पर है। इस दौरान उन्होंने मैथिलीशरण गुप्त की कविता ‘अवसर तेरे लिए खड़ा है, फिर भी तू चुपचाप पड़ा है’ भी सदन में पढ़ी। साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी में वो जरूर लिखते कि ‘’…अरे भारत, आत्मनिर्भरता के पथ पर दौड।
पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना संकट आया, तो भारत के लिए दुनिया चिंतित थी। अगर भारत खुद को नहीं संभाल पाया तो दुनिया के लिए संकट होगा। भारत ने अपने देश के नागरिकों की रक्षा करने के लिए एक अज्ञात दुश्मन से जंग लड़ी। लेकिन आज दुनिया इस बात पर गर्व कर रही है कि भारत ने ये लड़ाई जीती है। ये लड़ाई किसी सरकार या व्यक्ति ने नहीं जीती, लेकिन हिंदुस्तान को तो इसका क्रेडिट जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोरोना काल में एक बूढ़ी महिला ने झोपड़ी के बाहर दीया जलाया, लेकिन उसका भी मजाक उड़ाया गया। विपक्ष ऐसी बातों में ना उलझे, जिनसे देश के मनोबल को चोट पहुंचे। उन्होंने कहा कि जिस देश को तीसरी दुनिया का हिस्सा माना जाता था, उसी भारत ने एक साल में दो वैक्सीन बनाई और दुनिया को मदद पहुंचाई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब कोरोना के खिलाफ कोई दवाई नहीं थी, तब भारत ने 150 देशों को दवाई पहुंचाई। अब जब वैक्सीन आ गई है, तब भी दुनिया को भारत ही वैक्सीन दे रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश के अंदर भी केंद्र और राज्य की सरकारों ने मिलकर काम किया है।
पीएम मोदी ने कहा कि यहां पर लोकतंत्र को लेकर उपदेश दिए गए, भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं है कि जिसकी इस तरह खाल उधेड़ी जा सके। इस दौरान उन्होंने टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्होंने जिन शब्दों का प्रयोग किया, तो ऐसा लगा कि वो बंगाल की बात कर रहे हैं या देश की। वहीं, प्रकाश सिंह बाजवा भी जब बात कर रहे थे तो लगा कि वो कांग्रेस काल के आपातकाल, 1984 के दंगों का जिक्र करेंगे।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि, ‘हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में वेस्टर्न इंस्टीट्यूशन नहीं है, ये एक ह्यूमन इंस्टीट्यूशन है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक मूल्यों से भरा हुआ है, प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन हमें मिलता है। आज देशवासियों को भारत के राष्ट्रवाद पर हो रहे हमलों से बचाना जरूरी है। भारत का राष्ट्रवाद ना तो संकीर्ण है, ना ही आक्रामक है। ये सत्यम शिवम सुंदरम के मूल्यों से प्रेरित है।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन में बताया कि ये शब्द नेताजी सुभाष चंद्र बोस के हैं।
उन्होंने कहा कि हमें दुनिया से लोकतंत्र सीखने की जरूरत नहीं है, भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है। जब देश में आपातकाल लगा, तो न्यायपालिका और देश की क्या हालत थी सभी को पता है। लेकिन देश का लोकतंत्र इतना ताकतवर है कि आपातकाल को हमने पार कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज भारत में डबल डिजिट ग्रोथ का अनुमान है, दुनिया के कई देशों को निवेश नहीं मिल रहा है लेकिन भारत में लोग निवेश करना चाहते हैं। कभी यहां मोबाइल फोन को लेकर मजाक उड़ाया गया, लेकिन आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता है। पीएम मोदी ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक हो या एयरस्ट्राइक, भारत की ताकत को दुनिया ने देखा है।
राज्यसभा में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हमारी सरकार पहले दिन से गरीबों के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर गरीबों को आत्मविश्वास मिला तो वो खुद मेहनत कर आगे बढ़ेंगे। आज देश में 10 करोड़ शौचालय बने, 41 करोड़ से अधिक बैंक खाते खुले, 2 करोड़ घर बने, 8 करोड़ से अधिक मुफ्त सिलेंडर दिए गए। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि हमें तय करना होगा कि हम समस्या का हिस्सा बनेंगे या समाधान का माध्यम बनेंगे। राजनीति और राष्ट्रनीति में हमें किसी एक को चुनना होगा। पीएम मोदी ने कहा कि सदन में किसान आंदोलन की भरपूर चर्चा हुई, जो भी बताया गया वो आंदोलन को लेकर बताया गया लेकिन मूल बात पर चर्चा नहीं हुई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पूर्व पीएम देवेगौड़ा ने सरकार के प्रयासों की सराहना भी की, साथ ही उन्होंने सुझाव भी दिए। साथ ही उन्होंने चौधरी चरण सिंह के कथन को सदन में पढ़ा, ‘किसानों का सेंसेस लिया गया, तो 33 फीसदी किसान ऐसे हैं जिनके पास जमीन 2 बीघे से कम है, 18 फीसदी जो किसान कहलाते हैं उनके पास 2-4 बीघे जमीन है। ये कितनी भी मेहनत कर ले, अपनी जमीन पर इनकी गुजर नहीं हो सकती है।’ पीएम मोदी ने कहा कि मौजूदा वक्त में जिनके पास 1 हेक्टेयर से कम जमीन है, वो 68 फीसदी किसान हैं। 86 फीसदी किसानों के पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है। हमें अपनी योजनाओं के केंद्र में 12 करोड़ किसानों को रखना होगा।
उन्होंने सदन में संबोधन के दौरान कहा कि चुनाव के वक्त कर्जमाफी की जाती है, लेकिन उससे छोटे किसान को फायदा नहीं होता है। पिछली फसल बीमा योजना भी बड़े किसानों के लिए थी, जो सिर्फ बैंक से लोन लेता था। यूरिया हो या कोई दूसरी योजना, पहले सभी योजनाओं का लाभ 2 हेक्टेयर से अधिक वाले किसानों को होता था।