Indore News: खजराना मंदिर में शुरू हुआ तिल चतुर्थी महोत्सव, 51 हजार लड्डुओं का महाभोग

Rishabh
Published:

आज के दिन इंदौर के सबसे प्राचीन मंदिर खजराना गणेश में 1735 में माघ चतुर्थी के दिन ही भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना हुई थी। जिस वजह से यह दिन खजराना गणेश के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है, इस बार यह खास दिन और तिल चतुर्थी महोत्सव दोनों एक दिन ही है। आज से खजराना गणेश मंदिर पर तिल चतुर्थी महोत्सव प्रारम्भ हो गया है, इंदौर शहर में खजराना गणेश मंदिर की मान्यता सबसे अधिक मानो जाती है और इसी दिन से हर साल यह महोत्सव बनाया जाता है। मंदिर प्रांगण में प्रारम्भ हुए इस तिल चतुर्थी महोत्सव को रविवार से लेकर मंगलवार यानि 2 फरवरी 2021 तक मनाया जायेगा।

इंदौर खजरान गणेश मंदिर पर मनाये जा रहे तिल चतुर्थी महोत्सव की ख़ास बात यह रहती है हर वर्ष इस महोत्सव में भगवान् गणेश को नए नए श्रृंगार से सजाया जाता है, तरह तरह के लड्डुओं का भोग लगया जाता है, बड़ी ही खुशहाली के साथ इंदौर रहवासी इस महोत्सव को मानते है। इस बार तिल चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का स्वर्णाभूषणों से श्रृंगार किया गया। इतना ही नहीं भगवान् का श्रृंगार के आभूषणों की कीमत दो करोड़ रूपये है।

Indore News: खजराना मंदिर में शुरू हुआ तिल चतुर्थी महोत्सव, 51 हजार लड्डुओं का महाभोग

रविवार को खजराना गणेश के जन्मदिन और तिल चतुर्थी के उपलक्ष्य में सुबह से ही खजराना गणेश मंदिर प्रांगण में भक्तो का आना लगा हुआ है। आज के दिन सिद्धि विनायक भक्त मंडल की ओर से तिल-गुड़ के 51 हजार लड्डुओं का महाभोग भी गणेशजी को समर्पित किया गया है। जिसके बाद इस प्रसाद को भक्तों में वितरण किया गया। तिल चतुर्थी महोत्सव के दिन भगवान् खजराना गणेश को स्वर्ण आभूषण, मोतियों एवं फूलों से श्रृंगारित कर भक्तों को उनके दर्शन की विशेष व्यवस्था उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर की गई है।

तिल चतुर्थी महोत्सव के दिन की शुरुआत इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा की गयी है, इस दौरान उनके साथ निगम आयुक्त प्रतिभा पाल भी पूजन के दौरान मंदिर में उपस्थित थी। बता दे कि खजराना मंदिर के पुजारी पं. मोहन भट्ट एवं पं. अशोक भट्ट द्वारा वैदिक मंगलाचरण के बीच भक्तों की ओर से लड्डुओं का भोग समर्पित किया गया। इतना ही नहीं इस ख़ास दिन महोत्सव के दौरान गणेश अथर्वशीर्ष के अखंड पाठ भी जारी हैं। मंदिर पर सुबह ध्वजा पूजन के उपरांत गणेशजी को तिल-गुड़ के 51 हजार लड्डुओं का भोग समर्पित कर भक्तों में प्रसाद वितरण का किया गया।