मुरैना। मध्य प्रदेश के मुरैना में भारतीय वायु सेना के दो लड़ाकू विमान 28 जनवरी को दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे। इनमें एक विमान सुखोई-30 था और दूसरा विमान मिराज-2000 था। दोनों विमानों ने ग्वालियर एयरबेस से उड़ान भरी थी और दोनों विमान अभ्यास उड़ान पर थे। दोनों में से एक विमान मध्य प्रदेश के मुरैना जिले और दूसरा राजस्थान के भरतपुर जिले में जा गिरा। दोनों ही विमान जलकर खाक हो गए।
मुरैना में हुए विमान हादसे के बाद मध्य प्रदेश शासन ने विमान उड़ने को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। MP विमानन विभाग के राजपत्र में विमान उड़ाने वाले पायलटों के अनुभवों की सीमा बढ़ाई गई है। अब दो हजार घंटे का अनुभवी पायलट ही वीआईपी हेलीकॅाप्टर उड़ा सकता है। वहीं सीनियर पायलट के लिए तीन हजार घंटे का एक्सपीरियंस अनिवार्य किया गया है।
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इसके अलावा मल्टी इंजन वाले हेलीकॅाप्टर पर पायलट के पास 750 घंटे इन कमांड का अनुभव होना अनिवार्य रहेगा। बिना इसके किसी भी पायलेट को वीआईपी श्रेणी के विमान उड़ने पर प्रतिबंद लगा दिया गया है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि, पहले सीनियर पायलट के लिए 1000 घंटे की उड़ान का अनुभव और 500 घंटे मल्टी इंजन वाले हेलीकॉप्टर पर पायलट इन कमांड के रूप में अनुभव अनिवार्य रहता था। लेकिन अब इस उड़ान अनुभव समय सिमा में बढ़ोतरी की गई है। अब इसे बढ़ाकर 3000 घंटे उड़ान बनने का अनुभव और 750 घंटे मल्टी इंजन वाले हेलीकॉप्टर पर पायलट इन कमांड के रूप में अनुभव अनिवार्य किया गया है।
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