एकादशी का व्रत है इतना महत्वपूर्ण, जाने पूरी पूजा विधि व नियम

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By Rishabh JogiPublished On: January 16, 2021

एकादशी का व्रत ऐसा व्रत है जो सभी व्रतों में सबसे महत्वपूर्ण होता है। यह व्रत पौष मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी पौष पुत्रदा एकादशी कहलाती है। एकादशी के व्रत के दिन विष्णु भगवन की पूजा की मान्यता है जो सदियों से चली आ रही है। इस व्रत की मान्यता है कि ये व्रत करने वालों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। एकादेशी का व्रत संतान प्राप्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण और उत्तम मन जाता है। इस बार यह ख़ास 2021 की व्रत पुत्रदा एकादशी 24 जनवरी को मनाई जाएगी।

इस व्रत को रखने के कुछ खास नियम है

एकादशी का यह व्रत दो प्रकार से रखा जाता है निर्जला और फलाहारी या जलीय व्रत।निर्जल व्रत केवल उन व्यक्तियों को रखना चाहिए जो पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हो। एकादशी के व्रत से एक दिन पहले सात्विक भोजन करना चाहिए और प्रातःकाल स्नान के बाद इस व्रत का संकल्प लेंते है। एकादशी के व्रत में गंगा जल, तुलसी दल, तिल, फूल पंचामृत से विष्णु भगवान की पूजा करें. व्रत के अगले दिन किसी जरुरतमंद व्यक्ति को भोजन करा कर और कुछ दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना होता है।

अगर आपकी संतान की कामना है तो इसके लिए सुबह के समय पति-पत्नी दोनों को भगवन श्री कृष्ण की उपासना व् सेवा करनी चाहिए। साथ ही भगवन श्री कृष्ण को पीले फल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करना चाहिए। इसके बाद संतान गोपाल मन्त्र का जाप कर, मंत्र जाप के बाद पति पत्नी संयुक्त रूप से प्रसाद ग्रहण करना चाहिए एवं एकादशी के दिन भगवान् कृष्ण को पंचामृत का भोग लगाएं इससे आपकी ये मनोकामना पूर्ण हो सकती है।